सार
कोरोनावायरस महामारी के दौरान एक बात यह देखने में आ रही है कि लोग मानसिक समस्याओं, खासकर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस महामारी के दौरान एक बात यह देखने में आ रही है कि लोग मानसिक समस्याओं, खासकर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना संकट के इस समय में चिंता, तनाव और अवसाद की समस्या से कमोबेश हर उम्र के लोग जूझ रहे हैं। यहां तक कि बच्चों में भी तनाव और डिप्रेशन के लक्षण देखे जा रहे हैं। डिप्रेशन अगर बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक बीमारी का रूप ले लेता है। इस बीमारी में व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आने लगता है। वह अकेला रहने लगता है। किसी भी बात से उसे खुशी महसूस नहीं होती। वह हमेशा उदास और चिंता में डूबा रहता है। डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति की भूख और नींद भी कम हो जाती है। अगर यह बीमारी बढ़ जाए तो व्यक्ति आत्महत्या भी कर सकता है। इसलिए डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। जानें कुछ और टिप्स।
1. सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें
डिप्रेशन के शिकार लोग कुछ ऐसी हरकत कर सकते हैं, जो घर के लोगों को बुरी लग सकती है। कई बार वे अपने सामान्य काम-काज तक नहीं निपटाते। अक्सर छोटी-छोटी बातों पर वे खीज जाते हैं और गु्स्से में बात करते हैं। ऐसे में, उनके साथ धैर्य से पेश आना चाहिए। डिप्रेशन के शिकार लोगों के साथ गुस्से में बात नहीं करें। इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है।
2. डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति से बातचीत करें
जो लोग डिप्रेशन की समस्या के शिकार होते हैं, वे लोगों के साथ घुलना-मिलना पसंद नहीं करते। वे अकेले रहना चाहते हैं। इससे उनमें नेगेटिविटी बढ़ती है। डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे लोगों के साथ बातचीत करनी चाहिए और उन्हें घरेलू कामकाज में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अगर वे लोगों के बीच समय बिताते हैं, तो उनकी समस्या दूर हो सकती है।
3. डिप्रेशन की वजह समझने की कोशिश करें
डिप्रेशन की समस्या कई बार कुछ तात्कालिक वजहों से पैदा होती है। लगी-लगाई जॉब का छूट जाना, करियर में बाधा आना या पार्टनर से ब्रेकअप हो जाना भी डिप्रेशन का कारण हो सकता है। तात्कालिक वजहों से होने वाला डिप्रेशन समस्या के समाधान के साथ अपने आप ठीक हो जाता है। इसलिए असली समस्या का पता कर उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
4. अकेले कमरा बंद कर मत सोने दें
डिप्रेशन का मरीज चाहे कैसा भी हो, उसे कभी भी अकेले कमरा बंद कर मत सोने दें। डिप्रेशन के मरीज की मनोदशा कब कैसी होगी, इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। डिप्रेशन की समस्या जब गंभीर हो जाती है तो व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के ख्याल आने लगते हैं। अकेले रहने पर वह इसे अंजाम दे सकता है। इसलिए सतर्कता बरतना जरूरी है।
5. साइकेट्रिस्ट से संपर्क करें
डिप्रेशन मामूली हो ज्यादा, साइकेट्रिस्ट से संपर्क करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। साइकेट्रिस्ट मरीज से बातचीत कर उसकी हालत को बखूबी समझ जाता है और फिर उसके मुताबिक थेरेपी देता है। जरूरी नहीं कि डिप्रेशन के हर मरीज को दवा ही दी जाए। शुरुआती दौर में काउंसलिंग से भी काम चल जाता है। अगर बीमारी बढ़ जाए तो दवा देनी पड़ती है। आजकल ऐसी दवाइयां आ गई हैं, जिनसे यह समस्या पूरी तरह दूर हो जाती है। अगर इस समस्या को दूर नहीं किया गया तो व्यक्ति का मन खोखला हो जाता है और वह किसी काम का नहीं रह जाता।