सार
देशभर में मासूम बच्चों के साथ यौन शोषण, बलात्कार, हत्या की घटनाएं रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं। ऐसे में हम आपको बताते हैं, उनकी सेफ्टी से जुड़ी छोटी-छोटी बातें, जो आपको जानना जरूरी है।
लाइफस्टाइल डेस्क : हर साल 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस 2022 (National Safety Day 2022) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद जागरूकता पैदा करना और सुरक्षित रूप से काम करने की प्रतिबद्धता है। सड़क सुरक्षा, कार्यस्थल सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा सहित सभी सुरक्षा सिद्धांतों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए ये दिन मनाया जाता है। जब भी कभी सुरक्षा की बात आती है तो हमारे जहन में सबसे पहले बच्चों की सेफ्टी (Child Safety) का ख्याल आता है। ऐसे में उनकी सेफ्टी का किस तरह से ख्याल रखा जाए और कैसे उन्हें सुरक्षा दी जाए आइए हम आपको बताते हैं...
स्कूल में बच्चों की सेफ्टी का ध्यान कैसे रखें
- अगर आपका बच्चा प्ले स्कूल या नर्सरी स्कूल में जाता है, तो उसकी सेफ्टी का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। ऐसे में सबसे पहले आप उसके बैग में उसका और अपना पूरा नाम, घर का पता और कम से कम दो मोबाइल नंबर लिखकर एक स्लिप जरूर डालें, क्योंकि अगर कभी बच्चा घुम जाता है, तो यह स्लिप किसी को उसे घर तक पहुंचाने में काम आ सकती है।
- अगर आपका बच्चा किसी बस या वैन से स्कूल जाता है तो यह जरूर चेक करें कि ड्राइवर और कंडक्टर का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है या नहीं। साथ ही बस ड्राइवर और कंडक्टर दोनों का नंबर रखें ताकि आप उनसे संपर्क कर सकें। इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपका बच्चा सबसे आखिर में बस या वैन से उतरता है तो उसके साथ एक स्कूल का अटेंडेंट जरूर हो।
- छोटे बच्चों को 3-4 साल में ही गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी जरूर दें। उन्हें सिखाएं कि किसी बुरे बर्ताव या बैड टच करने पर चिल्लाकर रिएक्ट करना है।
- स्कूल के बाथरूम और टॉयलेट की सुरक्षा की जांच करें। यह देखिए कि वहां कोई अटेंडेंट बैठता है या नहीं। आप इस बारे में बच्चे से भी बार-बार पूछते रहे कि वहां अंदर कोई आता-जाता तो नहीं है और टॉयलेट के बाहर कोई देखरेख करता है या नहीं।
- बच्चों की एक्टिविटीज पर ध्यान रखें। अगर उनके बर्ताव में आपको थोड़ा सा भी बदलाव नजर आए, तो इस पर गंभीरता से विचार करें। बच्चों को बचपन से ही ये आदत डाले कि वह कोई भी चीज अपने अंदर छुपा कर नहीं रखें, बल्कि घर में मम्मी या पापा में से किसी को अपनी सारी बातें जरूर बताएं।
- सबसे जरूरी बात की आपको बच्चों की सभी बातों को धैर्य पूर्वक सुननी चाहिए। किसी गलत बात पर आपको पैनिक होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर आप गुस्सा करेंगे या उसे डांट लाएंगे तो अगली बार से वह आपको अपनी बातें नहीं बताएंगे।
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घर में इस तरह से रखें बच्चों की सेफ्टी का ध्यान
- सिर्फ स्कूल में नहीं बच्चे की सेफ्टी का घर में ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। घर में या खेलते वक्त, आस-पड़ोस में वो किससे मिलते हैं, किनसे बातें करते हैं आपको इस बारे में भी जानना जरूरी है, क्योंकि रिपोर्ट्स के अनुसार चाइल्ड अब्युज के सबसे ज्यादा मामाले घरों में ही पाए जाते हैं।
- बच्चों को ना कहने की आदत सिखाएं। उन्हें बताएं कि किसी से डर कर हर गलत बात को सही नहीं मान लेना है या किसी के कहने पर कहीं भी जानें को तैयार नहीं हो जाना है। उन्हें नहीं कहकर आप मना कर सकते हैं।
- बच्चे अपने किस दोस्त के घर में जाते हैं या कौन से लोग आपके घर में आते हैं आपको हर एक बात जानना जरूरी है। ऐसे लोगों को पहचाने और उनसे दूर रखें जो उनके लिए खतरा हो सकते हैं।
- एक सही उम्र के बाद (13-15 साल) बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना भी बहुत जरूरी है। उन्हें अपने पास बैठाएं और उन्हें अच्छी तरह से प्यार से समझाएं कि सेक्स अब्युज होता क्या है, इसपर खुलकर बात करें और हमें इससे कैसे बचना चाहिए।
- कोरोना महामारी के दौर में पिछले 2 साल से बच्चों का इंटरनेट एक्सेस बहुत ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि स्कूल की पढ़ाई से लेकर ट्यूशन और कई सारी क्लासेस भी ऑनलाइन हो गई है। ऐसे में बच्चों की इंटरनेट एक्टिविटी पर जरूर ध्यान रखें कि वह अपने फोन या कंप्यूटर पर कौन सी चीजें देखते हैं। आजकल कई ऐसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध है जो आपको इंटरनेट पर फिल्टर लगाने के ऑप्शंस देते हैं यानी कि एडल्ट साइट को आप अपने बच्चों से सेव कर सकते हैं।
- अगर बच्चा घर पर अकेला है, तो उसे समझाएं कि किसी अजनबी के लिए दरवाजा ना खोलें। अपनी पर्सनल जानकारी किसी को ना दें। फोन पर किसी को यह ना बताएं कि वह घर पर अकेला है।
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