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  • आधुनिकता के दौर में भी जिंदा है संस्कृत, इन 5 गांवों आज भी बोली जाती है ये प्रचीन भाषा

आधुनिकता के दौर में भी जिंदा है संस्कृत, इन 5 गांवों आज भी बोली जाती है ये प्रचीन भाषा

Indian Villages Where People Speak Sanskrit: भारत भाषा और बोली के मामले में समृध देश है, जहां के हर एक क्षेत्र, राज्य, शहर और जगह में अपनी अलग भाषा और बोली है। भारतीय भाषा के सबसे पुराने भाषा की बात करें तो वो है संस्कृत।  

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Chanchal Thakur
Published : Aug 19 2025, 04:40 PM IST
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भारत के इन 5 गांवों में आज भी बोली जाती है संस्कृत, दो तो हैं एक ही राज्य से
Image Credit : Instagram (neoculturation)

भारत के इन 5 गांवों में आज भी बोली जाती है संस्कृत, दो तो हैं एक ही राज्य से

Sanskrit Speaking Villages in India: भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत को "देववाणी" कहा जाता है। यह न सिर्फ वेद, उपनिषद और ग्रंथों की भाषा है बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का मूल भी है। आधुनिक समय में जहां बोलचाल और शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृत का चलन कम हो गया है, वहीं देश के कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां आज भी लोग रोजमर्रा की बातचीत संस्कृत में करते हैं। यह गांव हमारी विरासत और पहचान को जीवित रखने का काम कर रहे हैं। चलिए जानते हैं भारत के उन 5 खास गांवों के बारे में, जहां आज भी संस्कृत बोली जाती है-

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भारत के इन 5 गांव में बोली जाती है संस्कृत भाषा (Sanskrit Speaking Villages to Visit in India) मट्टूर (कर्नाटक)
Image Credit : Instagram (neoculturation)

भारत के इन 5 गांव में बोली जाती है संस्कृत भाषा (Sanskrit Speaking Villages to Visit in India) मट्टूर (कर्नाटक)

कर्नाटक के शिमोगा जिले का मट्टूर गांव संस्कृत बोलने के लिए विश्वभर में मशहूर है। यहां के लोग घर में, मंदिर में और बाजार में भी संस्कृत भाषा बोलते हैं। इस गांव की खासियत यह है कि यहां हर व्यक्ति, चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग, सरलता से संस्कृत में बातचीत करता है। यही कारण है कि मट्टूर को “संस्कृत ग्राम” भी कहा जाता है।

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होसहल्ली (कर्नाटक)
Image Credit : Instagram (neoculturation)

होसहल्ली (कर्नाटक)

मट्टूर के पास ही स्थित होसहल्ली गांव भी संस्कृत भाषा को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाए हुए है। यहां भी लोग एक-दूसरे से संस्कृत में बात करते हैं और शिक्षा से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक, संस्कृत ही यहां की प्रमुख भाषा है। इस तरह कर्नाटक के दो गांवों ने मिलकर पूरी दुनिया के सामने संस्कृत को जीवित रखने की एक मिसाल कायम की है।

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झिरी (मध्य प्रदेश)
Image Credit : Instagram (neoculturation)

झिरी (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले का झिरी गांव में भी लोग आज भी संस्कृत भाषा में बातचीत के लिए प्रसिद्ध है। यहां ग्रामीण संस्कृत को दैनिक जीवन में इस्तेमाल करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां न सिर्फ बुज़ुर्ग बल्कि नई पीढ़ी भी संस्कृत भाषा को अपनी पहचान बना रही है। इस तरह मध्य भारत का यह गांव भी संस्कृत बोल अपनी पहचान कायम कर रहा है।
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सासना (ओडिशा)
Image Credit : Instagram (neoculturation)

सासना (ओडिशा)

ओडिशा का सासना गांव भी संस्कृत भाषा को जीवित रखने वालों में गिना जाता है। यहां कई संस्कृत विद्यालय हैं और स्थानीय लोग दैनिक बातचीत में संस्कृत भाषा में बातचीत करते हैं। इस गांव की खासियत ये है कि यहां संस्कृत का प्रचार-प्रसार शिक्षा और अध्यात्म दोनों माध्यम से किया जाता है।

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गनोड़ा (राजस्थान)
Image Credit : Instagram (neoculturation)

गनोड़ा (राजस्थान)

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले का गनोड़ा गांव भी संस्कृत को अपनी मातृभाषा की तरह अपनाए हुए है। यहां के ग्रामीण लोग अपने दैनिक जीवन में बोलचाल के लिए लोकल बोली या भाषा के बजाए संस्कृत को ही बोलचाल के लिए उपयोग करते हैं और बच्चों को भी यही भाषा सिखाई जाती है।

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Chanchal Thakur
चंचल ठाकुर। मीडिया जगत में इनको 4 साल से ज्यादा अनुभव है। सितंबर 2024 से एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर लाइफ स्टाइल बीट पर काम कर रही हैं। 2021-22 में अमर उजाला, 2023-24 में दैनिक जागरण संस्थान की वेबसाइट हर जिंदगी में ये काम कर चुकी हैं। पत्रकारिता में इनके पास BAJMC और MA की डिग्री है। लाइफस्टाइल, एंटरटेनमेंट, ट्रेन्डिंग और धर्म से जुड़ी खबरों में इनका इंट्रेस्ट है। इनसे chanchal.singh@asianetnews.in के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है।
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