सार
यह तस्वीर मध्य प्रदेश के बालाघाट की है। इस शहर को यह घना जंगल दो भागों में बांट देता है। यह इलाका जंगली जानवरों से भरा है। जंगल इतना घना है कि यहां से निकलने वाली रोड को लोग डेंजर रोड कहते हैं। हालांकि इसे ऑक्सीजोन भी कहा जाता है। अब यहां रिंग रोड निकालने के लिए करीब 700 पेड़ काटे जाने हैं। युवाओं की एक टोली ने इसका इसका अनूठे अंदाज में विरोध किया है।
बालाघाट, मध्य प्रदेश. विकास के नाम पर कटते जंगल एक बड़ी समस्या हैं। यह तस्वीर मध्य प्रदेश के बालाघाट की है। इस शहर को यह घना जंगल दो भागों में बांट देता है। यह इलाका जंगली जानवरों से भरा है। जंगल इतना गहरा है कि यहां से निकलने वाली रोड को लोग डेंजर रोड कहते हैं। हालांकि इसे ऑक्सीजोन भी कहा जाता है। अब यहां रिंग रोड निकालने के लिए करीब 700 पेड़ काटे जाने हैं। युवाओं की एक टोली ने इसका इसका अनूठे अंदाज में विरोध किया है।
रिंग रोड की बलि चढ़ेंगे 700 पेड़
यहां से रिंग रोड प्रस्तावित है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग के मांग पर इस रास्ते में आने वाले करीब 700 पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया गया है। यह रास्ता वैनगंगा नदी के बैक पर है। इस जंगल में हिरण से लेकर कई जंगली जानवर निवास करते हैं। अब वन विभाग ने सड़क के लिए 3 हेक्टेयर में फैले इन पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी है। इसका युवाओं की एक टीम ने विरोध शुरू कर दिया है। 7 युवाओं की इस टीम ने पेड़ बचाने के संदेश के साथ दौड़ लगाई। इस दौरान युवाओं ने बंसी भी बजाई।
60 किमी की दौड़ लगाई
टीम के सदस्य आदेश प्रताप सिंह, हर्षित फुंड़े, ज्ञान गौतम, शिवांश मेश्राम, एश्वर्य राज सोनवाने, और संकेत उईके ने बताया कि उन्होंने करीब 60 किमी की दौड़ लगाकर लोगों को पेड़ बचाने की दिशा में जागरूक करने की कोशिश की। बता दें कि इसके अलावा नाट्य क्षेत्र में सक्रिय कलाकार धनेंद्र कावड़े बांसुरी बजाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।