सार
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री रात करीब 12 बजे आराम करने अपने कमरे में गए थे। थोड़ी देर बाद ही मच्छरों ने परेशान करना शुरू कर दिया। बताया गया कि मुख्यमंत्री के कमरे में मच्छरदानी तक नहीं थी। रात को ढाई बजे मच्छर मारने की दवाई मंगाई गई।
भोपाल (Madhya Pradesh) । शिव की नींद में अगर खलल पड़ जाए तो आप समझ सकते हैं। तीसरी आंख भी खुलेगी और गुनगाहर को सजा भी मिलेगी...। ऐसा कुछ हुआ मध्य प्रदेश के सीधी सर्किट हाउस में। हुआ कुछ यूं कि 16 फरवरी में सीधी बस हादसे में मारे गए लोगों के परिजन से मिलने मुख्यमंत्री शिवराज चौहान पहुंचे थे। दिनभर भागदौड़ के बाद उनके रुकने की व्यवस्था वहां के सर्किट हाउस में की गई। यहां भी अधिकारियों की लापरवाही ने शिवराज को परेशान कर दिया। रात 12 बजे सीएम सोने चले गए, लेकिन उनका सामना वहां के मच्छरों से हो गया। उन्होंने इसकी शिकायत वहां मौजूद कर्मचारियों से की। फिर क्या था आनन-फानन में रात के ढाई बजे सीएम के कमरे में मच्छर मारने की दवाई डाली गई। इसके बाद उन्होंने कुछ राहत महसूस की। ढाई बजे के बाद नींद लगी ही थी कि टंकी से पानी के ओवर फ्लो होने की आवाज आने लगी। उस समय सुबह के 4 बजे थे। पानी लगातार बह रहा था। इसके बाद मुख्यमंत्री को खुद पानी बंद कराने के लिए उठना पड़ा। कुल मिलाकर रातभर सीएम सो ना सके। सुबह होते ही वहां के कर्मचारियों और अधिकारियों को सजा का खौफ सताने लगा। सीएम ने सबसे पहले सर्किट हाउस के प्रभारी इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया। माना जा रहा है कि डीएम और एसपी पर भी इसकी गाज गिर सकती है।
हादसे के लिए प्रशासन को माना जिम्मेदार
बताया जा रहा है कि सीएम इसके पहले अधिकारियों के साथ मीटिंग किए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि अगर सीधी का प्रशासन सतर्क रहता तो यह हादसा नहीं होता। बताया जा रहा है कि सीधी कलेक्टर रवींद्र चौधरी और एसपी पंकज कुमावत पर भी गाज गिर सकती है। बता दें, 16 फरवरी को 54 यात्रियों से भरी हुई बस नहर में गिर गई थी, जिसमें 51 लोग मारे गए थे।
रात भर परेशान थे सीएम, सुबह एक्शन में आया मंत्रालय
मुख्यमंत्री को हुई इस परेशानी की जानकारी गुरुवार को मंत्रालय पहुंची। सर्किट हाउस के प्रभारी इंजीनियर बाबूलाल गुप्ता को निलंबित कर दिया गया। बता दें कि सीएम शिवराज सिंह चौहान 16 फरवरी को सीधी में हुए बस हादसे के बाद पीड़ितों का हाल जानने के लिए पहुंचे थे।