सार
लॉकडाउन में गरीबों को खाली पेट न रहना पड़े इसके लिए मदद के हाथ बढ़े हैं। वह बेसाहारा लोगों को खाना खिला रहे है, उन्हें राशन दे रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है। जहां एक किसाने अपनी 8 साल की बच्ची के कहने पर 225 कुंटल गेहूं दान कर दिए।
मंदसौर (मध्य प्रदेश), पूरा देश इस समय कोरोना के संकट से जूझ रहा है। लॉकडाउन में गरीबों को खाली पेट न रहना पड़े इसके लिए मदद के हाथ बढ़े हैं। वह बेसाहारा लोगों को खाना खिला रहे है, उन्हें राशन दे रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है। जहां एक किसाने अपनी 8 साल की बच्ची के कहने पर 225 कुंटल गेहूं दान कर दिए।
बेटी की बात सुनते ही भावुक हो गया किसान
दरअसल, मंदसौर में रहने वाले किसान कैलाश गुर्जर के घर एक बच्ची भूख से तड़पी हुए रोटी मांगने के लिए गई थी। किसान की 8 साल की बेटी ने उस भूखी बच्ची को चॉकलेट-बिस्किट और नमकीन खाने के लिए दे दिया। बच्ची के पिता यह सब देख रहे थे, जब किसान ने उस बच्ची से पूछा तो वह बोली-मेरे मम्मी-पापा और भाई सभी भूखे हैं, घर में आटा भी खत्म हो गया। गुर्जर की बेटी ने कहा-पापा पता नहीं ऐसे कितने परिवार और भूखे होंगे। क्या हमको उनके लिए कुछ नहीं करना चाहिए। बेटी की बात सुनती ही किसान ने प्रशासन से संपर्क कर भूखे लोगों के लिए ट्रॉली गेहूं दान कर दिया।
किसानों से सभी से की यह अपील
किसान कैलास गुर्जर का कहना है कि इस संकट की घड़ी में देश के सभी किसानों को जरूरतमंदों लोगों के लिए एक-एक क्विंटल दान करना चाहिए। मुझे यह प्रेरणा अपनी 8 साल की बेटी से मिली है। आप भी सोचिए जैसे हमारे बच्चे हैं, ठीक उसी तरह कितने बच्चे भूखे होंगे। इसलिए आपकी एक मदद से कितनों लोगों का पेट भरेगा।