सार

28 दिनों तक अकेले ही सरकार खींचते आ रहे शिवराज सिंह चौहान ने आखिरकार सोमवार को मंत्रिमंडल का गठन करके मंगलवार को पांचों मंत्रियों को विभाग बांट दिए हैं। विभागों के बांटे जाने में शिवराज सिंह ने बड़ी चतुराई दिखाई है। कमलनाथ सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्रा को गृह और हेल्थ जैसे महत्वपूर्ण विभाग देकर उन्हें चुनौती पर खरा उतरने का चैलेंज दिया है। वहीं, संघ के दबाव में मंत्री बनाए गए कमल पटेल को कृषि विभाग देकर नया दांव खेला है।

भोपाल, मध्य प्रदेश. 23 मार्च को कमलनाथ सरकार गिराने के बाद तमाम अटकलों के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को पांच मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल करके मंगलवार को विभाग बांट दिए। इस समय देश-प्रदेश कोरोना संकट से जूझ रहा है। मध्य प्रदेश की हालत अन्य राज्यों की तुलना में ठीक नहीं है। दूसरा, गेहूं खरीदी का काम शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति में विपक्ष लगातार उन पर विभागों के बंटवारे न करने को लेकर सवाल खड़े कर रहा था। इस कठिन हालत में शिवराज सिंह ने बड़ी चतुराई से विभाग बांटे। शिवराज सिंह ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी।

जानिए शिव का राज...
कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे तुलसीराम सिलावट को इस बार जल संसाधन मंत्रालय दिया गया है। ये ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे से हैं। सिंधिया खेमे से ही गोविंद सिंह राजपूत को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय विभाग दिया गया है। बता दें कि तुलसी सिलावट की छवि में जनता में अच्छी है। उन्होंने ही कमलनाथ सरकार में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान शुरू किया था। कमलनाथ सरकार में ही श्रम मंत्री रहे महेंद्र सिंह सिसोदिया ने तो इन्हें अगला सीएम तक बता दिया था।

 वहीं, मीना पटेल  को आदिमजाति कल्याण मंत्रालय दिया गया है। ये आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं। मीना पटेल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की करीबी हैं। 

मंत्रिमंडल में सबसे महत्वपूर्ण विभाग गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय नरोत्तम मिश्रा को दिए गए हैं। शिवराज ने इससे दो निशाने साधे हैं। नरोत्तम मिश्रा अमित शाह के करीबी हैं। कमलनाथ सरकार गिरने के बाद मुख्यमंत्री के लिए नरोत्तम मिश्रा का नाम भी उछला था। ऐसे में शिवराज ने गहरी सोच का परिचय दिया है। पहला, कोरोना संकट के दौर में दोनों ही विभागों पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है। जरा-सी चूक होने पर विपक्ष और जनता दोनों की नाराजगी और गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अगर नरोत्तम दोनों विभागों को अच्छे से मैनेज कर पाए, तो इससे शिवराज की टेंशन कम होगी। अगर, सक्सेस नहीं रहे, तो शिवराज के मुकाबले उनका कद कमजोर हो जाएगा।


वैसे बता दें कि जब कमलनाथ सरकार को गिराने का पॉलिटिकल ड्रामा चल रहा था, तब भाजपा विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह और नरोत्तम के समर्थक आमने-सामने आ गए थे। दोनों के ही नाम मुख्यमंत्री को लेकर उछाले गए थे। इसे लेकर एक-दूसरे के समर्थन में नारेबाजी तक हुई थी। सिंधिया के समर्थन में जब पोस्टरबाजी हुई, तो नरोत्तम सबसे आगे दिखाई दिए थे।

वहीं, कमल पटेल शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में पहले भी रह चुके हैं। वे कैलाश विजयवर्गीय खेमे से हैं। विजयवर्गीय और शिवराज सिंह के बीच अब पहले जैसा दोस्ताना नहीं है। कमल पटेल पहले राजस्व मंत्री थे। लेकिन अंतर्विरोधों और अपने बेटे के एक केस में फंस जाने के बाद वे हाशिये पर चले गए थे। इस बार उन्हें संघ के दबाव में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। शिवराज ने कृषि जैसा मंत्रालय देकर उन्हें चुनौती दी है। किसानों की समस्या मप्र के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। अगर कमल पटेल किसानों की नाराजगी दूर कर पाए, तो शिवराज सरकार के लिए बेहतर, अन्यथा..फिर से हाशिये पर।

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