सार
नगर पालिका ब्यावरा के एक कर्मचारी संजय जाट की मौत के 16 दिन बाद उसका ट्रांसफर राजगढ़ नगर पालिका परिषद में कर दिया है । दरअसल प्रदेश में 31 अगस्त तबादलों की आखिरी तारीख थी।
राजगढ़. एमपी अजब है, सबसे गजब है ! मध्यप्रदेश सरकार की यह लाइन राजगढ़ के एक वाकये पर एकदम सटीक बैठती है। जहां राज्य सरकार की तरफ से एक मुद्दे का ट्रांसफर कर दिया गया। नगर पालिका ब्यावरा के एक कर्मचारी संजय जाट की मौत के 16 दिन बाद उसका ट्रांसफर राजगढ़ नगर पालिका परिषद में कर दिया है । दरअसल प्रदेश में 31 अगस्त तबादलों की आखिरी तारीख थी। आखिरी दिन थोक बंद तबादले हुए, हर विभाग की तरफ से तबादलों की लंबी सूची जारी हुई लेकिन जल्दबाजी में सरकारी तंत्र ऐसा चूक कर बैठा । जिस पर अब सवाल उठ रहे हैं।
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घूसखोरी की घेराबंदी में दी थी जान
ब्यावरा में पदस्थ नगर पालिका कर्मचारी संजय जाट को 26 मार्च को लोकायुक्त पुलिस ने 3000 रुपए घूस लेने के आरोप में पकड़ा था। हालांकि, संजय जाट के हाथ रंगीन नहीं हुए थे, बावजूद इसके उन पर कार्रवाई की गई थी । इस कार्रवाई के बाद से ही नपाकर्मी को गिरिराज कसेरा, रजत कसेरा और पत्रकार इश्तयाक नबी लगातार ब्लैकमेल कर दबाव बना रहे थे। जिससे प्रताड़ित होकर उसने 14 अगस्त को फांसी लगा ली थी। संजय की मौत के बाद से अब तक जाट समाज के साथ ही तीन बार नगर पालिका कर्मचारी संघ ज्ञापन सौंप चुका है, जिसमें प्रांतीय स्तर तक के कर्मचारी भी शामिल हुए थे। बावजूद इसके उसकी मौत के 16 दिन बाद उसके अटैचमेंट का आदेश नगरीय प्रशासन विभाग की नींद की पोल खोल रहा है।
आत्महत्या के बाद कैद में ब्लैकमेलर
संजय जाट की मौत के बाद से आरोपी गिरिराज कसेरा और रजत कसेरा जेल में बंद है, जबकि अन्य दो आरोपियों में पत्रकार इश्तयाक नबी और शिकायतकर्ता भागीरथ जाटव की पुलिस को तलाश है। वहीं ट्रांसफर कॉपी की बात करें तो उसमें साफ-साफ लिखा है कि संजय जाट पर लोकायुक्त भोपाल द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज है। राज्य सरकार द्वारा संजय जाट को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक नगर पालिका राजगढ़ में पदस्थ किया जाता है, लेकिन इस आदेश के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या 16 दिन में उपसचिव तक कर्मचारी के मौत की खबर नहीं पहुंची, जबकि मौत को लेकर इतना हंगामा हो चुका है।
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मामला बढ़ने पर विभाग ने सुधारी गलती
वहीं जब सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से फैली और नगरीय प्रशासन विभाग के इस ऑर्डर का मजाक बना तो विभाग ने आनन-फानन में वेबसाइड से इसे हटा दिया। विभाग की तरफ से सफाई दी गई कि नगरीय प्रशासन के बाद यह फाइल वल्लभ भवन गई थी, हो सकता है उसमें उन्हें समझ नहीं आया हो। हमारी तरफ से तो उसी समय रिपोर्ट भेज दी गई थी। रात को पता चलने के बाद तत्काल ही सुधार लिया गया।