सार
इंदौर कॉलेज की एक स्टूडेंट ने अपनी हॉस्टल में रहकर रात को फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। क्योंकि तीन दिन पहले वह कॉलेज में केमिस्ट्री के पेपर के दौरान उस पर नकल प्रकरण बना था। जिसकी वजह से वह दुखी थी। बदनामी के चलते डिप्रेशन में चली गई और फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया।
इंदौर, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से एक दुखद मामला सामने आया है। जहां एक Bsc स्टूडेंट ने दुखी होकर आत्महत्या करी। मरने से पहले एक इमोशनल सुसाइड नोट भी लिखा-मम्मी-पापा मुझे माफ करना, आपने मुझपर इतना यकीन किया और मैंने आपका भरोसा ही तोड़ दिया। सॉरी..अब आप मयंक को अच्छे से पढ़ाना वह मेरी जगह पर आपका नाम रोशन करेगा। किसी की कोई गलती नहीं है, सिर्फ मेरी गलती है।
मम्मी-पापा क्या सोचेंगे..इसलिए बेटी ने छोड़ दी दुनिया
दरअसल, यह मामला इंदौर के भवरकुआं थाने क्षेत्र का है। जहां तीन दिन पहले हॉस्टल में रहने वाली छात्रा ने अपने कॉलेज में केमिस्ट्री के पेपर में नकल प्रकरण बनने के बाद से वह दुखी थी। वह बदनामी के चलते डिप्रेशन में चली गई थी। उसको लगने लगा था कि नकल करते वक्त वह पकड़ाई है तो उसे कॉलेज से निकाल दिया जाएगा। जब मम्मी-पापा को इस बारे में पता चलेगा तो वह कितने दुखी होंगे। इसी वजह से छात्रा ने यह कदम उठा लिया।
हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर दी जान
मामले की जांच कर रहे भवरकुआं थाने के प्रभारी शशिकांत चौरसिया ने बताया कि मृतक छात्रा रेणुका इंदौर के माता जीजा बाई कॉलेज की छात्रा थी। वह भंवरकुआं इलाके में एक हॉस्टल में रहती थी। 3 दिन पहले उसका केमिस्ट्री का पेपर था। इस दौरान वह परीक्षा में नकल करती पकड़ी गई थी। जिसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने रेणुका का नकल प्रकरण बना दिया था। साथ ही उसको हिदायत दी थी कि उसे जल्द ही कॉलेज से निकाल दिया जाएगा। इसी डर के चलते उसने 20 अप्रैल की रात ही हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली।
पिता ने बताया की बचपन की आदत बेटी को ले गई
बता दें कि रेणुका के पिता नारायण धाकड़ बनखेड़ी होशंगाबाद में पुलिस कांस्टेबल हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी पढ़ने में बहुत होशियार थी। वह पढ़ाई करते वक्त कभी हथेली पर तो कभी अपने हाथ-पैर पर पेन से कुछ भी लिख लेती थी। बचपन की उसकी यह आदत नहीं सुधरी थी। हम लोग उसे इसके लिए कई बार डांटे भी, लेकिन फिर भी उसकी आदत नहीं छूट सकी। अब इसी आदत के चलते कॉलेज ने उस पर नकल का प्रकरण बना दिया। जिससे दुखी होकर रेणुका ने अपनी जान दे दी। पिता ने बताया कि एक दिन पहले ही उनकी बेटी से फोन पर बात हुई थी। उसने कहा था कि 21 अप्रैल को मेरा पेपर है, उसके बाद वह गांव आएगी। लेकिन उससे पहले ही उसने फांसी लगाकर जान दे दी।