सार
पाटिल, पुणे में कोथरूड विधानसभा सीट बीजेपी के उम्मीदवार हैं। इनका सीधा मुकाबला राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिरमाना सेना (एमएनएस) के उम्मीदवार से है। कांग्रेस और एनसीपी ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। दोनों पार्टियों ने पाटिल को हराने के लिए एमएनएस का सपोर्ट कर दिया था।
मुंबई(Mumbai). भारतीय जनता पार्टी को एक मामले में दूसरी पार्टियों से अलग माना जाता है। वो ये कि दूसरे दलों के मुकाबले बीजेपी के पास जबरदस्त नेताओं की कमी नहीं है। महाराष्ट्र में भी पार्टी के पास एक से बढ़कर एक कद्दावर नेता हैं। इन नेताओं की सांगठनिक क्षमता कई बार उम्मीदों के मुताबिक ही रही है।
महाराष्ट्र में चंद्रकांत पाटिल बीजेपी के ऐसे ही जुझारू और कद्दावर नेता हैं। चंद्रकांत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत वाले मंत्री भी हैं। 60 साल का ये नेता पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहा है। मजेदार ये है कि पाटिल को हराने के लिए महाराष्ट्र का लगभग समूचा विपक्ष एक हो गया है।
पाटिल, पुणे में कोथरूड विधानसभा सीट बीजेपी के उम्मीदवार हैं। इनका सीधा मुकाबला राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिरमाना सेना (एमएनएस) के उम्मीदवार से है। कांग्रेस और एनसीपी ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। दोनों पार्टियों ने पाटिल को हराने के लिए एमएनएस का सपोर्ट कर दिया था।
मिल मजदूर के बेटे से भाजपा के दिग्गज मंत्री तक का सफर
बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि चंद्रकांत पाटिल एक मिल मजदूर के बेटे हैं। भाजपा की राजनीति इस नाम के बिना अधूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर देवेंद्र फडणवीस तक, चंद्रकांत सभी के भरोसेमंद माने जाते हैं। यही वजह है कि उन्हें महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में पार्टी कमान सौंपी गई है। वैसे पाटिल का नाम कई बार मुख्यमंत्री पद की रेस में भी शामिल रहा। संगठन कुशलता इतनी जबरदस्त है कि लोग सम्मान से इन्हें 'दादा' उपनाम से पुकारते हैं।
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ऐसा रहा है पाटिल का सफर
चंद्रकांत पाटिल का जन्म 10 जून 1959 को मुंबई के एक सामान्य माध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता बच्चू पाटिल मूलतः कोल्हापुर के थे। बच्चू पाटिल मुंबई के एक मिल में मजदूर हुआ कराते थे। पाटिल मुंबई के प्रभुदास चॉल में पाले बढ़े हैं। उनकी शिक्षा मुंबई से ही पूरी हुई।
आरएसएस का बैकग्राउंड
चंद्रकांत बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। इस दिग्गज नेता ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। अब तक विधान परिषद के सदस्य हैं।