सार
यह इमोशनल स्टोरी पिछले 20 साल से फिल्म इंडस्ट्रीज का हिस्सा रहे 'संजय-निशी भाडली' की है। 8 महीने पहले यानी फरवरी में निशी को पैरालिसिस का अटैक आया था। तब से कपल की जिंदगी ठहर-सी गई है। अपनी पत्नी के बेहतर स्वास्थ्य और जिंदगी के लिए इस बार संजय ने करवाचौथ का व्रत रखा था।
मुंबई. यह कहानी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कपल की जरूर है, लेकिन यह रियल है, फिल्मी बिलकुल भी नहीं। यह कहानी भावनाओं से भरी है। 29 साल बाद चांद देखने के लिए 'छलनी' पत्नी के नहीं, पति के हाथों दिखाई दी। लेकिन चांद देखते वक्त पति की आंखों में चमक नहीं थी, बल्कि नमी थी। इस बार पति ईश्वर से अपनी पत्नी की लंबी आयु की कामना कर रहा था। यह कपल हैं निशी और संजय भाडली। संजय करीब 20 साल से फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं। वहीं, निशी 14-15 साल की उम्र से अभिनय करती आई हैं। जब इनकी जिंदगी में सबकुछ ठीक था, तब 'ग्लैमर की दुनिया' इनकी खुशियों में चार-चांद लगाती थी। लेकिन मुसीबत का पहाड़ टूटते ही, बॉलीवुड के सारे तारे-सितारे पता नहीं कहां विलुप्त हो गए। कुछ दोस्तों को छोड़कर खून के रिश्ते मुंह मोड़ गए। बात 8 फरवरी की है, जहां से जिंदगी ने खराब वक्त की ओर अपनी रुख किया। इन 8 महीनों में सिर्फ जिंदगी फीकी नहीं पड़ी, कपल के चेहरे तक मुरझा गए हैं। मुंबई की तेज रफ्तार जीवनशैली के संग कदमताल करके आगे बढ़ रही यह फैमिली अब ठीक से कदम भी नहीं उठा पा रही। हालांकि पति को उम्मीद है कि, जिंदगी फिर रफ्तार पकड़ेगी। फिर से सबकुछ बेहतर होगा।
एक बीमारी से बदल गया सबकुछ..
संजय भाडली फिल्म इंडस्ट्री के पुराने हरफनमौला हैं। लेखन, निर्देशक और प्रोडक्शन सभी में उनका खासा दखल रहा है। हालांकि वे स्वीकारते हैं कि काम बहुत किया, हबीब तनवीर जैसे धुंरधरों के साथ थियेटर किया। माइक का आर्टिस्ट हूं। लेकिन जिस मुकाम की तलाश थी, वो अभी तक नहीं मिला। उनकी पत्नी निशी भी टीवी और फिल्म का जाना-पहचाना नाम हैं। यह और बात है कि बीमारी ने उनकी जिंदगी का 'ग्लैमर' छीन लिया। याद्दाश्त को भी जर्जर कर दिया। निशी ने मनोज वाजपेयी, सौरभ शुक्ला, नवाजुद्दीन, विजय राज जैसे चर्चित कलाकारों के साथ थियेटर किया है। निशी ने अपना पहला प्ले दिनेश खन्ना के निर्देशन में लखनऊ में खेला था। दूसरे प्ले में निशी शाहरुख खान की बहन बनी थीं। निशी ने रॉ-वन, एबीसीसीडी-1, थ्री इडियट जैसी कई फिल्मों में सशक्त किरदार निभाए। बीमारी से पहले तक वे स्टार प्लस के सीरियल इश्कबाज और सब टीवी के लोकप्रिय शो-तेनालीरामा के अलावा एक अन्य शो-निशा भाभी के नुस्खे कर रही थीं। लेकिन अचानक सबकुछ पीछे छूट गया। एक्टिंग तो बहुत दूर की बात, वे अब किसी बात पर ठीक से रियेक्ट भी नहीं कर पातीं।
संजय बताते हैं-'घटनावाले दिन मैं अपने प्रोडक्शन हाउस में काम रहा था, तभी बेटी उर्वशी का कॉल आया कि मां बाथरूम में फिसल गई हैं। मैं मामले की गंभीरता ठीक से समझ नहीं पाया। जब मैं घर पहुंचा और उन्हें कार से हॉस्पिटल ले जाने लगा, तो कार के गेट पर निशी गिर पड़ीं। उनका पैर मुड़ गया। यह देखकर मैं घबरा गया। रातभर एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल तक घूमता रहा, लेकिन कहीं भी प्रॉपर जांचें नहीं हो सकीं। बाद में एक हॉस्पिटल पहुंचा, तब मालूम चला कि निशी को पैरालिसिस का अटैक आया था।'
काश! मैं भूल नहीं करता..
संजय यह बताते हुए भावुक हो उठे कि काश! वे समय पर निशी को समय पर हॉस्पिटल में एडमिट करा देते, तो शायद यह दिन नहीं देखने पड़ते। संजय के मुताबिक,' निशी को डायबिटीज थी। हालांकि पिछले कई सालों से वो कंट्रोल में है। इसलिए मैंने सबसे पहले उसे डायबिटीज का इलाज करने वाले डॉक्टर को दिखाया। हालांकि जब तबीयत बिगड़ी, तब दूसरे डॉक्टर के पास ले गए। उन्होंने सलाह दी थी कि मैं निशी को फौरन किसी हॉस्पिटल में एडमिट कर दूं। क्योंकि उसका थायरॉयड, कोलेस्ट्राॅल आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था। लेकिन मैंने देर कर दी। काश! मैं यह भूल नहीं करता।'
बेटी बनी मां की परछाई, पति को छोड़ना पड़ा काम
संजय के दो बच्चे हैं। उर्वशी के अलावा बेटा जय। मां की देखभाल के लिए बेटी उनकी परछाई बन गई है। हालांकि यह बताते हुए संजय मायूस नजर आए कि बेटी को 9th क्लास के बाद ड्राप लेना पड़ गया। संजय खुद भी पिछले 8 महीने से सारा काम-धंधा छोड़कर निशी का ख्याल रख रहे हैं। संजय कहते हैं-' पैरालिसिस अटैक के बाद तो निशी किसी को पहचान भी नहीं रही थी। मुझे भी नहीं। यह मेरे लिए एक सदमा था। हालांकि अब पहचानने लगी है।' संजय और निशी दोनों मूलत: दिल्ली से हैं। लेकिन अब लंबे समय से मुंबई में बस गए हैं।
40 हजार करोड़ की इंडस्ट्री में कोई सगा नहीं..
इस कपल को देखकर यूं लगता है कि मानों पैरालिसिस ने केवल पत्नी पर नहीं, पूरी फैमिली पर अटैक किया हो। घर-परिवार सबकुछ हिल गया है। संजय और निशी की शादी 1991 में हुई थी। इनकी मुलाकात दिल्ली में थियेटर करते समय हुई थी। यह लव-अरेंज मैरिज है। संजय कहते हैं-'हमारी फिल्म इंडस्ट्री 40 हजार करोड़ रुपए के करीब होगी, लेकिन ग्लैमर की इस भीड़ में कोई किसी का अपना नहीं। संकट में खून के रिश्तों ने भी मुंह फेर लिया।' संजय को इसका कोई अफसोस नहीं। हालांकि संजय को इस बात का संतोष है कि इस मुसीबत में कुछ दोस्त हमेशा उनके साथ खड़े दिखते हैं। वे निशी के मुंहबोले भाई रूपेश सोनार और अपने भाई समान दोस्त अर्जुन नारायण का जिक्र करना नहीं भूलते। संजय बताते हैं-'निशी हमेशा फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे बच्चों की मदद करती रही। हम दोनों एक एक संस्था का प्लान भी बना रहे थे, जाे अपने सपने लेकर मुंबई आने वाले बच्चों को गाइड करे, उनकी मदद करे। ईश्वर ने चाहा, तो हम दोनों फिर से इस प्लान पर काम करेंगे।' आखिर में संजय कहते हैं-'ईश्वर की यही मर्जी होगी..आगे भी वही होगा, जो भगवान चाहेगा।' हालांकि संजय के मन में उम्मीद की एक ज्वाला हमेशा जलती रहती है कि कुछ अच्छा होगा। यही हौसला पूरे परिवार का संबल बना हुआ है।
(जैसा कि संजय भाडली ने अमिताभ बुधौलिया को बताया)