सार

भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गिरफ्तार कर जेल भेजे गए एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख जेल से बाहर आ गए हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। 
 

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) बुधवार को एक साल बाद जेल से बाहर आए। उन्हें मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद कर रखा गया था। जेल से बाहर आने पर पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनका स्वागत किया। 

एनसीपी (Nationalist Congress Party) नेता अनिल देशमुख सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार और ईडी द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी थे। जेल से बाहर आकर देशमुख सबसे पहले सिद्धिविनायक मंदिर गए और पूजा की। वह एक खुली जीप में सवार होकर निकले थे। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किसी हीरो की तरह उनका स्वागत किया। उनके साथ एनसीपी नेता और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं।

जेल से बाहर आने के बाद देशमुख ने मीडिया से कहा, "सचिन वाजे के इशारे पर मुझे एक साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया। सचिन वाजे खुद दो मामलों में जेल गए। उन्हें पहले पुलिस से निलंबित कर दिया गया था। मुझे बिना किसी अपराध के जेल में डाला गया, लेकिन आखिरकार मुझे कोर्ट से न्याय मिला। मुझे देश के नए प्रशासन पर भरोसा है। मुझे देश के संविधान पर भरोसा है।"

12 दिसंबर को मिली थी जमानत
बता दें कि देशमुख को 12 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, लेकिन सीबीआई द्वारा मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए समय मांगे जाने के चलते जज ने अपने आदेश पर 10 दिन का रोक लगा दिया था। सीबीआई सुप्रीम गई है, लेकिन उनकी याचिका पर शीतकालीन अवकाश के बाद जनवरी में कोर्ट खुलने पर सुनवाई होगी। 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बंबई हाई कोर्ट द्वारा देशमुख को दी गई जमानत में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में देशमुख को नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया था। मनी लॉन्ड्रिंग केस में देशमुख को अक्टूबर में जमानत मिल गई थी। सीबीआई द्वारा दायर भ्रष्टाचार के मामले के चलते वह जेल में बंद थे। सीबीआई का दावा है कि देशमुख ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया और कुछ पुलिस अधिकारियों के माध्यम से मुंबई के विभिन्न बारों से 4.7 करोड़ रुपए वसूल किए।

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देशमुख को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के बयान के अलावा सीबीआई के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि बार मालिकों से पैसे वसूले जा रहे थे। देशमुख द्वारा कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किए गए सचिन वाजे भी नवंबर से जमानत पर बाहर हैं।

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