सार
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 सीटों पर चुनाव होने हैं जिसकी तैयारी में लगी बड़ी-बड़ी पार्टियां जेब ढीली भी करेंगी। खबर है कि इस बार चुनाव में पार्टियों ने पानी की तरह पैसा बहाया है। विधानसभा चुनाव में मात्र 288 सीटों पर 3239 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार चुनाव में हर उम्मीदवार के करीब 28 लाख तक रुपये खर्च करने की खबर है। जिसके आधार पर महाराष्ट्र चुनाव में होने वाले खर्च को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है।
मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 सीटों पर चुनाव होने हैं जिसकी तैयारी में लगी बड़ी-बड़ी पार्टियां जेब ढीली भी करेंगी। खबर है कि इस बार चुनाव में पार्टियों ने पानी की तरह पैसा बहाया है। विधानसभा चुनाव में मात्र 288 सीटों पर 3239 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार चुनाव में हर उम्मीदवार के करीब 28 लाख तक रुपये खर्च करने की खबर है। जिसके आधार पर महाराष्ट्र चुनाव में होने वाले खर्च को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है।
4 हजार करोड़ तक होगा खर्चा-
विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही कांग्रेस, बीएसपी सहित कई पार्टियां भी मैदान में हैं। इसमें सभी उम्मीदवारों के आधिकारिक खर्चे को देखकर 15 दिनों में 906 करोड़ 92 लाख रुपए खर्च होने की संभावना है। साथ ही बिना रिकार्ड वाले खर्चे को देखा जाए तो हर उम्मीदवार के 1 करोड़ रुपए के चुनावी खर्च के हिसाब से कुल चुनावी खर्च 4 हजार करोड़ रुपये हो सकता है। वहीं चुनाव करवाने के लिए सरकारी मशीनरीज में 700 से 800 करोड़ रुपए होने की संभावना है।
साथ ही चुनाव आयोग आचार संहिता के पालन के लिए उम्मीदवारों के खर्चों पर पूरी नजर रखेगा। बावजूद इसके पार्टियां पानी की तरह पैसा बहाती हैं। चुनावी मौसम में करोड़ों रुपये का धन पकड़ा भी जाता है। अगर एक उम्मीदवार औसत 1 करोड़ रुपए भी चुनाव लड़ने में खर्च करे तो इस हिसाब से 3239 करोड़ रुपए खर्च होंगे ही।
बड़ी पार्टियों के खर्च पर कोई पाबंदी नहीं-
चुनाव में बड़ी और राष्ट्रीय पार्टियों के खर्चो पर कोई पाबंदी नहीं है। उम्मीदवरों को अपने खर्च का ब्यौरा राज्य निर्वाचन आयोग को देना होता है वहीं राष्ट्रीय पार्टियों को अपने खर्च की जानकारी केंद्रीय निर्वाचन आयोग को देना जरूरी है।
बड़े नेताओं की विमान, हेलिकॉप्टर यात्राएं भी शामिल-
चुनाव में प्रचार के दौरान बड़ी पार्टियों के बड़े नेता प्रचार-प्रसार में विमान और हेलिकॉप्टर से यात्राएं करते हैं। साथ ही बड़ी भव्य रैलियों, मंच व दूसरी व्यवस्थाओं का भी खर्च शामिल होता है। यह सब उम्मीदवार को नहीं बल्कि पार्टी के खाते में जुड़ता है। 2014 लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा सबसे ज्यादा चुनावी खर्च करने वाली पार्टी हो सकती है। सोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट मुताबिक 2014 के महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में चुनावी खर्च में 60 प्रतिशत से ज्यादा अकेले भाजपा ने किया था।