सार

महिला के शव का दफन होने के दो दिन बाद उसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई। तो बेटे सुहास को अपनी मां की अंतिम इच्छा का ख्याल आया और उसने प्रशासन से शव को कब्र से निकालने की गुहार लगाई। जिसके लिए सुहास को पूरे तीन महीने प्रशासन के चक्कर काटने पड़े।

नासिक. कोरोना कॉल में कई हैरान कर देने वाली खबर सामने आई हैं। ऐसा ही एक अनोखा मामला महाराष्ट्र के नासिक में देखने को मिला है। जहां एक महिला को दो बार दफनाया गया। यह सब बेटे ने अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए किया।

मां की अंतिम इच्छा पूरी करना चाहता था बेटा
दरअसल, यह हैरान कर देने वाली घनटा नासिक जिले के मनमाड़ की है। जहां तीन महीने पहले 21 सितंबर को मंजूलता वसंत क्षीरसागर (76) नाम की महिला का एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। डॉक्टरों ने मौत की वजह दिल की बीमारी और निमोनिया बताया था। लेकिन स्थानीय प्रशासन को शक था कि महिला की जान कोरोना चलते गई है। इसलिए रिपोर्ट आने से पहले ही उसे मालेगांव के एक कब्रिस्तान में दफना दियाा गया। मृतक महिला जब जिंदा थी तो वह अक्सर अपने बेटे से कहती थी कि उसे मरने के बाद पति के पास दफन किया जाए।

तीन महीने तक अधिकारियों के चक्कर काटता रहा बेटा
महिला के शव का दफन होने के दो दिन बाद उसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई। तो बेटे सुहास को अपनी मां की अंतिम इच्छा का ख्याल आया और उसने प्रशासन से शव को कब्र से निकालने की गुहार लगाई। जिसके लिए सुहास को पूरे तीन महीने प्रशासन के चक्कर काटने पड़े।

3 महीनें में किया मां का दूसरी बार अंतिम संस्कार
बेटे ने मां की अंतिम इच्छा के लिए नगर निगम से लेकर कलेक्टर तक आवेदन लिखा। लेकिन इससे बावजूद भी किसी ने उसकी मदद नहीं की। इसके बाद 64 दिनों बाद 23 नवंबर को नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मिली। जिसमें लिखा गया था कि वह शव को कब्र से बाहर निकाल सकता है। लेकिन इससे के लिए उसे मालेगांव तहसीलदार से भी मंजूरी लेनी होगी।