सार
Maharashtra Political Crisis शिवसेना पर कब्जे के लिए साम-दाम-दंड-भेद के तीर खुलकर छोड़े जा रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना के बागी विधायक नेता एकनाथ शिंदे की टीमें, पार्टी पर दावा को मजबूत करने के लिए मंथन कर रहीं।
Maharashtra Political Crisis महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बीच सत्ता को लेकर खींचतान और तेज हो गई है। एक तरफ जहां एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी (Guwahati) में डेरा डाले बागी विधायकों में कम से कम 20 विधायक उद्धव के संपर्क में आकर वापसी करना चाहते हैं तो दूसरी ओर उद्धव सरकार के एक और मंत्री ने शिंदे के साथ जाने का ऐलान कर दिया है। अभी तक नौ मंत्री बागी हो चुके हैं। आईए जानते हैं प्रमुख घटनाक्रम...
- महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत रविवार को असम के गुवाहाटी पहुंचे और बागी विधायकों में शामिल हो गए। वह एकनाथ शिंदे खेमे में शामिल होने वाले नौवें मंत्री हैं।
- अल्पमत में होने के बावजूद, टीम ठाकरे ने श्री शिंदे के इस दावे को खारिज कर दिया है कि वह पार्टी के चुनाव चिन्ह के लिए दावा पेश करेंगे। बागियों को खुली चुनौती देते हुए, आदित्य ठाकरे ने उनसे चुनाव लड़कर जीतने की चुनौती दे डाली।
- एकनाथ शिंदे खेमे के साथ बागी हुए विधायकों के बीच भी मतभेद होता दिख रहा है। बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे का साथ दे रहे कम से कम 20 विधायक यह नहीं चाहते हैं कि वे लोग बीजेपी में विलय करें।
- हालांकि, शिंदे के पास प्रहार जनशक्ति पार्टी के साथ विलय का विकल्प भी है। इस पार्टी के प्रमुख, महाराष्ट्र के मंत्री बच्चू कडू, पहले से ही गुवाहाटी में विद्रोहियों के साथ डेरा डाले हुए हैं।
- ठाकरे परिवार के वफादार कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुछ बागी विधायकों के कार्यालयों में तोड़फोड़ किए जाने के बाद केंद्र ने शिवसेना के 15 बागी विधायकों की सुरक्षा बढ़ा दी है।
- रविवार की सुबह, शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने भाजपा शासित असम में डेरा डाले हुए विद्रोहियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आप गुवाहाटी में कब तक छिपे रहेंगे, चौपाटी तो आपको आना ही होगा। संजय राउत ने बताया कि शिवसेना की अयोग्यता याचिका पर 16 बागी विधायकों को नोटिस दिया गया है।
- एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार की रात असम के गुवाहाटी से एक विशेष विमान से वडोदरा के लिए उड़ान भरी। वडोदरा में गृह मंत्री अमित शाह पहले से ही थे। बताया जा रहा है कि शिंदे ने अमित शाह व फडणवीस से मुलाकात की है। फडणवीस के साथ बातचीत के बाद, शिंदे भाजपा शासित असम के मुख्य शहर में लौट आए। शिंदे और विद्रोही अपने पूर्व सहयोगी भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहते हैं, जिसके बारे में उनका दावा है कि वह शिवसेना का स्वाभाविक सहयोगी है। एकनाथ शिंदे द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो में बागी विधायक चिमनराव पाटिल ने कहा कि हम परंपरागत रूप से राकांपा और कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी हैं, वे निर्वाचन क्षेत्रों में हमारे प्राथमिक चुनौतीकर्ता हैं। हमने सीएम उद्धव ठाकरे से अनुरोध किया कि स्वाभाविक गठबंधन किया जाना चाहिए।
- विद्रोहियों ने कहा है कि वे अभी भी शिवसेना के साथ हैं और दावा करते हैं कि उनके पास दो-तिहाई बहुमत है। बागी विधायक दीपक केसरकर ने आगे अपने समूह 'शिवसेना बालासाहेब' को मान्यता देने की मांग की और ऐसा नहीं करने पर अदालत जाने की चेतावनी दी और उनके विद्रोह के पीछे भाजपा की भूमिका से इनकार किया।
- शिवसेना ने शनिवार को उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में छह प्रस्ताव पारित किए। सेना भवन में बैठक में, श्री ठाकरे को विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया गया था। उनके पक्ष ने चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में विद्रोहियों द्वारा खुद को शिवसेना बालासाहेब ठाकरे कहने को लेकर भी आपत्ति जताते हुए चुनौती दी गई है।
शिंदे ने कर दी है शिवसेना से बगावत
दरअसल, बीते दिनों शिवसेना के सीनियर लीडर एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी। वह कई दर्जन विधायकों के साथ पहले सूरत पहुंचे। सियासी पारा चढ़ने के बाद शिंदे अपने विधायकों के साथ असम पहुंचे। यहां वह एक फाइव स्टार होटल में 40 से अधिक विधायकों के साथ डेरा डाले हुए हैं। शिंदे के पास शिवसेना के 40 बागियों व दस अन्य का समर्थन होने का दावा किया जा रहा है। शिंदे ने 24 जून की रात में वडोदरा में अमित शाह व देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावनाओं पर वह और बीजेपी के नेताओं ने बातचीत की है। हालांकि, चुपके से देर रात में हुई मुलाकात के बाद शिंदे, स्पेशल प्लेन से वापस गुवाहाटी पहुंच गए।
उधर, शिंदे को पहले तो शिवसेना के नेताओं ने मनाने की कोशिश की लेकिन अब फ्लोर टेस्ट और कानूनी दांवपेंच चला जाने लगा है। दरअसल, शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने सारे बागियों को वापस आने और मिलकर फैसला करने का प्रस्ताव दिया। उद्धव ठाकरे की ओर से प्रवक्ता संजय राउत ने यह भी कहा कि अगर एनसीपी व कांग्रेस से बागी गुट चाहता है कि गठबंधन तोड़ा जाए तो विधायक आएं और उनके कहे अनुसार किया जाएगा। लेकिन सारे प्रस्तावों को दरकिनार कर जब बागी गुट बीजेपी के साथ सरकार बनाने का मंथन शुरू किया तो उद्धव गुट सख्त हो गया।
यह भी पढ़ें:
राष्ट्रपति चुनावों में वोटिंग से वंचित रह चुके हैं ये राज्य, जानिए पूरा इतिहास