सार

महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर दिए गए आदेश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। करीब 3 घंटे तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उद्धव सरकार को 30 जून को फ्लोर टेस्ट कराना होगा। इस दौरान दोनों पक्ष के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। 

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल ही में 30 जून को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर फ्लोर टेस्ट कराने और न कराने को लेकर दोनों पक्ष के वकीलों ने करीब 3 घंटे तक अपनी-अपनी दलीलें रखीं। बता दें कि कोर्ट में शिवसेना का पक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा, जबकि शिंदे गुट की तरफ से एडवोकेट नीरज किशन कौल ने अपनी बात रखी। जानते हैं कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की 10 अहम दलीलें। 

शिवसेना पक्ष : अभिषेक मनु सिंघवी ने दी ये दलीलें : 

1- आज (बुधवार) सुबह ही हमें ये सूचना मिली कि गुरुवार 30 जून को फ्लोर टेस्ट कराना है। हमारे दो विधायक कोविड पॉजिटिव हैं, जबकि एक विधायक विदेश में है। 
2- फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश वाला लेटर राज्यपाल ने एक हफ्ते तक अपने पास रखा। उन्होंने उसे तब जारी किया, जब विपक्ष के नेता ने उनसे मुलाकात की। राज्यपाल कोविड संक्रमित थे और अस्पताल से बाहर आने के 2 दिन में ही विपक्ष के नेता से मिले और फ्लोर टेस्ट का फैसला कर लिया।
3- 16 बागी विधायकों को 21 जून को ही अयोग्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में इनके वोट से बहुमत का फैसला कैसे किया जा सकता है?
4- क्या राज्यपाल फ्लोर टेस्ट के लिए 11 जुलाई तक इंतजार नहीं कर सकते थे। 11 जुलाई को अदालत विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले पर  फैसला सुनाने वाली है। अगर गुरुवार को फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो कोई आसमान तो गिर नहीं जाएगा? 
5- सिंघवी ने कोर्ट में मांग की कि बहुमत का फैसला या तो विधानसभा अध्यक्ष को करने दिया जाए या फिर इसे 11 जुलाई तक टाल दिया जाए। 

शिंदे गुट : नीरज किशन कौल ने रखीं ये मजबूत दलीलें 

1- जब हम कोर्ट पहुंचे, तब बहुमत हमारे साथ था। हमने विधानसभा अध्यक्ष को भी लिखा कि आपके पास सदन में बहुमत नहीं है। लेकिन 24 जून को स्पीकर ने हमे ही अयोग्य ठहराते हुए नोटिस जारी कर दिया। अयोग्यता वाले नोटिस की वजह से फ्लोर टेस्ट को नहीं रोका जा सकता है। 
2- महाराष्ट्र में सरकार ही नहीं, उद्धव ठाकरे की पार्टी भी अल्पमत में आ चुकी है। ऐसे में हॉर्स ट्रेडिंग न हो, इसे रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट कराना बेहद जरूरी है। शिंदे और उनके विधायकों ने शिवसेना नहीं छोड़ी है। बहुमत उनके साथ है। 
3- फ्लोर टेस्ट के मामले पर अयोग्यता वाले मुद्दे से कोई फर्क नहीं पड़ता। लोकतंत्र में फ्लोर टेस्ट सबसे सही परीक्षण है। सुप्रीम कोर्ट का ही मानना है कि अगर कोई मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट से आनाकानी करता है तो इससे साफ है कि वो सदन का विश्वास खो चुका है।
4-  फ्लोर टेस्ट कराना राज्यपाल का फैसला है। अगर सुप्रीम कोर्ट चाहे तो उनके इस फैसले की समीक्षा कर सकता है। लेकिन महाराष्ट्र की सियासत में जो हालत बन रहे हैं, ऐसे में क्या राज्यपाल का फैसला इतना गलत है कि उसके लिए कोर्ट जाना पड़े?
5- राज्यपाल के कोरोना से ठीक होते ही फ्लोर टेस्ट का आदेश देने के सवाल पर कौल ने कहा कि क्या कोई बीमारी से ठीक होने के बाद अपनी संवैधानिक ड्यूटी को नहीं निभा सकता। 

क्या है महाराष्ट्र विधानसभा का गणित?
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। लेकिन शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद से एक सीट खाली है। ऐसे में 287 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 144 का आंकड़ा जरूरी है। बीजेपी के पास 106 विधायक हैं। इसके अलावा उसे 6 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। यानी अब कुल विधायकों की संख्या 112 है। वहीं, एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। अब अगर शिवसेना के 40 बागी विधायक बीजेपी को समर्थन करते हैं तो उसके विधायकों की संख्या 152 हो जाएगी। वहीं  महाविकास अघाड़ी के पास 113 विधायक रह जाएंगे। 

शिंदे गुट और बीजेपी के बीच सरकार बनाने पर भी मंथन : 
शिंदे गुट और भाजपा के बीच सरकार बनाने पर भी मंथन चल रहा है। भाजपा ने शिंदे गुट को 8 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्रियों का ऑफर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, डिप्टी CM के लिए एकनाथ शिंदे का नाम सबसे उपर है। वहीं शिंदे गुट के गुलाबराव पाटिल, संजय शिरसाट, दीपक केसरकर, उदय सामंत और शंभूराज देसाई को मंत्री बनाया जा सकता है।

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