सार

आम भैंसे के मुकाबले इस भैंसे की खुराक काफी ज्यादा है। यह भैंसा हर रोज 15 लीटर दूध पीता है। इसके अलावा उसे हरी घास और गन्ने दिन में चार बार खिलाए जाते हैं ताकि उसकी तंद्रुस्ती बनी रहे। इस भैंसे का वजन करीब डेढ़ टन और इसकी कीमत 80 लाख रुपए है। 

सांगली (महाराष्ट्र) : अपने आसपास आपने कई गाय-भैंस या भैंसे देखें होंगे लेकिन कभी आपने उन पर ध्यान नहीं दिया यानी इग्नोर किया। लेकिन, महाराष्ट्र में एक भैंसा ऐसा भी है, जिसे देखने और उसके साथ सेल्फी खिंचवाने लोग दूर-दूर से चले आ रहे हैं। दरअसल, यह भैंसा कुछ खास है, यह अन्य भैंसों की तरह बिल्कुल भी नहीं है। इसकी डाइट, कीमत और लंबाई, वजन तक सब कुछ बिल्कुल खास है, अलग है।

डेढ़ टन वजन, 80 लाख कीमत
महाराष्ट्र (Maharashtra) के सांगली (Sangli) में गजेंद्र नाम का भैंसा इन दिनों खूब चर्चा में है। इस भैंसे का वजन करीब डेढ़ टन है और इसकी कीमत 80 लाख रुपए है। यह भैंसा महाराष्ट्र-कर्नाटक के बॉर्डर पर बसे मंगसुली गांव के रहने वाले किसान विलास नाइक का है। वे इसे सांगली जिले के तासगांव में स्वाभिमानी शेतकरी संघटना की तरफ से आयोजित किए गए 8वें कृषि, पशु, पक्षी प्रदर्शन में लाए थे। जिसने भी इस भैंसे को देखा वो देखता ही रह गया। उसके बाद से ही पूरे इलाके में हर तरफ गजेंद्र भैंसे की चर्चा हो रही है। 

डाइट में 15 लीटर दूध पीता है
आम भैंसे के मुकाबले इस भैंसे की खुराक काफी ज्यादा है। यह भैंसा हर रोज 15 लीटर दूध पीता है। इसके अलावा उसे हरी घास और गन्ने दिन में चार बार खिलाए जाते हैं ताकि उसकी तंद्रुस्ती बनी रहे। इस तहर के जानवर को पुनरुत्पादन के लिए पाला जाता है। इनके स्पर्म के अच्छी किस्म की नस्ल पैदा की जाती। जिससे किसानों को काफी फायदा हो सके है। किसान इस नस्ल के भैंसे को खरीदना चाहते हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी आमदानी में बढ़ोतरी होगी लेकिन इसे पालना इतना भी आसान नहीं।

सेल्फी खिंचवाने आ रहे लोग
इस भैंसे के बारे में जो भी सुन रहा है, वह इसे देखने चला आया। हर रोज बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से गजेंद्र के पास पहुंचे। उन्होंने इसके साथ सेल्फी ली। जिसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इस भैंसे की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। वहीं इस भैंसे की खूब चर्चा हो रही है। हर कोई यह बोल रहा है कि भैंसा हो तो गजेंद्र की तरह।

इसे भी पढ़ें-बदला लेने वाले बंदर: कुत्तों ने ऐसी क्या गलती की, जिससे बंदरों ने 80 पिल्लों को मौत के घात उतार दिया

इसे भी पढ़ें-कोटा में पशुपालकों की पहली कॉलोनी, 15 हजार गाय-भैंसों के रहने की व्यवस्था, सुविधाएं ऐसी जैसे कोई हाईटेक सिटी