सार

मुंबई के इस असली हीरो का नाम  पास्कल सलदान्हा है, जो कि  मालवणी इलाके में डेकोरेशन का काम करते हैं। वह संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर खाना तक पहुंचा रहे हैं। इसके लिए पास्कल ने अपनी रोजी के गहने बेच दिए। जबकि पत्नी  किडनी फेल होने और ब्रेन हेमरेज के बाद से पिछले पांच साल से बिस्तर पर हैं। 

मुंबई. कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश को झकझोर के रख दिया है। हजारों लोग रोजाना मौत की मुंह में समा रहे हैं। किसी को खाली बेड नहीं मिल पा रहा तो कोई ऑक्सीजन की कमी से तड़पते हुए दम तोड़ रहा है। इस मुश्किल घड़ी में कई लोग मानवता का धर्म निभाते हुए जरुरतमंदों की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। संकट के वक्त मुंबई के एक शख्स मरीजों की मसीहा की तरह मदद करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने मरीजों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने के लिए अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए। जबकि उनकी पत्नी खुद एक गंभीर बीमारी से 5 साल से जूझते हुए बेड पर है।

मरीजों को खाने से लेकर दे रहे ऑक्सीजन सिलेंडर
दरअसल, मुंबई के इस असली हीरो का नाम  पास्कल सलदान्हा है, जो कि  मालवणी इलाके में डेकोरेशन का काम करते हैं। वह संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर खाना तक पहुंचा रहे हैं। इसके लिए पास्कल ने अपनी रोजी के गहने बेच दिए। उनके पास ऐसे कई फोन आते हैं जिनको किसी ना किसी चीज की जरुरत होती है। वह बिना देर किए उसकी मदद कर देते हैं।

पत्नी के कहने पर करने लगे दूसरों की मदद
पास्कल ने बताया कि मेरी 51 वर्षीय पत्नी रोजी, किडनी फेल होने और ब्रेन हेमरेज के बाद से पिछले पांच साल से बिस्तर पर हैं। काफी इलाज करने के बाद भी वह चल फिर नहीं सकती है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले उनके पास अपने बेटे शालोम के स्कूल की प्रिंसिपल का फोन ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए आया। मैंने उनको एक सिलेंडर दे दिया। जिससे स्कूल के एक टीचर  की जान बच गई। टीचर कहने लगी कि अगर आप मदद नहीं करते तो शायद में जिंदा नहीं होती। बस उसकी यह बात मेरे दिल में बैठ गई।

पत्नी के गहने के साथ खर्ज कर दी सारी जमा पूंजी
टीचर की जान बचने के बाद पास्कल की पत्नी रोजी ने कहा कि मेरे सारे गहने बेच दो और दूसरी की जान बचा लो। में तो अब ठीक नहीं हो सकती हूं, किसी  दूसरी की ही जान बच जाए। फिर पास्कल ने सारे गहने बेच दिए और 8 से 10 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद जरूरतमंदों तक पहुंचा दिए। वह कहते हैं मेरे पास जो जमा पूंजी थी उसको भी निकालकर मरीजों की मदद करने लगा। इस वक्त मेरे पास 3 से 4 सिलेंडर का स्टॉक रहता है। किसी का कॉल आता है तो वह यहां से लेकर चला जाता है।