सार
महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या 33 हजार के पार पहुंच गई है। राज्य में महामारी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं बढ़ते मामलों के बीच मुंबई से एक राहत भरी खबर सामने आई है। जहां महज डेढ़ महीने के बच्चे ने कोरोना से जंग जीत ली है और वह अपनी मां के साथ सकुशल अपने घर पहुंच गया है।
मुंबई. महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या 33 हजार के पार पहुंच गई है। राज्य में महामारी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं बढ़ते मामलों के बीच मुंबई से एक राहत भरी खबर सामने आई है। जहां महज डेढ़ महीने के बच्चे ने कोरोना से जंग जीत ली है और वह अपनी मां के साथ सकुशल घर पहुंच गया है।
बेटे की मुस्कुराहट देख खुश हैं माता-पिता
दरअसल, इस मासूम बच्चे का नाम पराक्रम है। वह देश के उन सबसे छोटे बच्चों में शामिल है जिसने कोरोना को मात दी है। बता दें कि पराक्रम का जन्म 26 मार्च को मुंबई के एक अस्पताल में हुआ था। हॉस्पिटल की लापरवाही की वजह से मासूम कोरोना वायरस की चपेट में आया था। मम्मी-पापा के संघर्ष-सतर्कता और डॉक्टरों की कड़ी मेहनत ने मासूम को बचा लिया। मासूम के पिता विक्की सिंह और उनकी पत्नी सपना खुश हैं कि उनका बेटा अब मुस्कुराने लगा है।
मासूम की मां ने बताया- कैसे वह कोरोना से संक्रमित हुए थे
बच्चे की मां का कहना है, लॉकडाउन से पहले मुझे लेबर पेन हुआ था। मैं अस्पताल गई थी, जहां डॉक्टरों ने सलाह दी कि आपके बच्चे की धड़कने तेज हैं। आपको एडमिट हो जाना चाहिए। फिर मैं अपने पति के साथ चैंबूर के अस्पताल पहुंची और 26 मार्च को 12 बजे बेटे का जन्म हुआ। हम दोनों बहुत खुश थे कि हमारे घर नन्हां मेहमान आया है। लेकिन कुछ देर बाद डॉक्टरों ने दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया, जहां पहले से एक कोरोना का मरीज भर्ती था। मुझको वह बेड दिया गया, जिस पर पहले कोरोना का मरीज लेटा हुआ था। जब पति को पता चला तो उन्होंने काफी हंगामा किया कि अस्पताल ने हमसे सच छुपाया और बिना पूछे कैसे कोरोना वार्ड में एडमिट कर दिया। इसके बाद हम दूसरे अस्तपताल में भर्ती हो गए। डिलीवरी के तीन दिन बाद जब कोरोना टेस्ट हुआ तो विक्की की रिपोर्ट नेगेटिव आई और मेरी व बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव। लेकिन, मैंने हौसला नहीं खोया। मुझको यकीन था कि हमारे देश के डॉक्टरों एक दिन हमकों ठीक कर देंगे।
बेटे को कोई छूता है तो पिता को लगता है डर
विक्की ने बताया कि पराक्रम को सुकून से सोते देख सपने जैसा लगता है। काफी संघर्ष के बाद मेरा बेटा पराक्रम कोरोना मुक्त हुआ। जब कोई मेरे बच्चे को छूता है तो डर लगता है कि कहीं उसको दुबारा कोई तकलीफ ना हो जाए। जिस दिन बेटे और पत्नी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो वह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था।