सार

लॉकडाउन के कारण जिंदगी के पहिये थम से गए हैं। अब लोग लॉकडाउन खुलने के इंतजार में हैं। लेकिन इन महिलाओं के लिए लॉकडाउन जैसे खुशियां लेकर आया है। पुणे की एक नहीं, 9 महिलाएं इन्फर्टिलिटी या उनके पति स्पर्म की कमी की परेशानी से जूझ रहे थे। महिलाएं मां नहीं बन पाने से दु:खी थीं। उसका इलाज शुरू होना था कि लॉकडाउन हो गया। इससे महिलाओं को धक्का-सा पहुंचा। घर में दम्पती अकसर अपने बच्चे की उम्मीद के सपने संजोते रहते। अब इन महिलाओं को खुशखबरी मिली है। वे गर्भवती हैं।

पुणे. वैसे तो लॉकडाउन ज्यादातर लोगों के लिए परेशानियां लेकर ही आया है, लेकिन ये महिलाएं सौभाग्यशाली साबित हुईं। जिस खुशखबरी के लिए वो वर्षों से इंतजार कर रही थीं, वो उन्हें लॉकडाउन में मिली। लॉकडाउन के कारण जिंदगी के पहिये थम से गए हैं। अब लोग लॉकडाउन खुलने के इंतजार में हैं। लेकिन इन महिलाओं के लिए लॉकडाउन जैसे खुशियां लेकर आया है। पुणे की एक नहीं, 9 महिलाएं इन्फर्टिलिटी या उनके पति स्पर्म की कमी की परेशानी से जूझ रहे थे। महिलाएं मां नहीं बन पाने से दु:खी थीं। उसका इलाज शुरू होना था कि लॉकडाउन हो गया। इससे महिलाओं को धक्का-सा पहुंचा। घर में दम्पती अकसर अपने बच्चे की उम्मीद के सपने संजोते रहते। अब इन महिलाओं को खुशखबरी मिली है। वे गर्भवती हैं।

IVF ट्रीटमेंट शुरू होने वाला था कि लॉकडाउन हो गया
एक 30 वर्षीय महिला का इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक से ट्रीटमेंट शुरू होने वाला था। इसके लिए उसे कुछ इंजेक्शन लगने जा रहे थे। लेकिन इससे पहले ही लॉकडाउन हो गया। लिहाजा दम्पती को घर में रहना पड़ गया। महिला का इलाज पूरा नहीं हो सका था। इसी बीच अप्रैल में जब उसने डॉक्टर को दिखाया, तो मालूम चला कि उसका तो नेचुरल गर्भधारण हो गया है। यह खबर महिला के लिए चमत्कारिक थी। वो खुश होकर बोली-मेरे लिए लॉकडाउन खुशखबरी लेकर आया है।

ऐसे 9 मामले...
एक अन्य मामले में पुरुष लो स्पर्म काउंट की समस्या से परेशान था। लॉकडाउन में उसकी पत्नी भी गर्भवती हो गई। पुणे के IVF एक्सपर्ट और स्त्री रोग विशेषज्ञ अमित पटानकर ने बताया कि यह वाकई रिसर्च का विषय है कि इन महिलाओं या पुरुषों का ट्रीटमेंट पूरा भी नहीं हो पाया था कि महिलाएं गर्भवती हो गईं।

डॉक्टर उदाहरण देती हैं कि वारजे इलाके की रहने वाली एक महिला 7 साल से बच्चा न होने से परेशान थी। वे इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) की अडवांस रिप्रोडक्टिव टेक्निक की मदद ले रहे थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण उनका ट्रीटमेंट शुरू नहीं हो सका। अब महिला गर्भवती है।

पुणे के डॉक्टर इन केसों की स्टडी कर रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि वर्क फ्रॉम होम के कारण स्ट्रेस लेवल में कमी आई है। साथ ही दम्पती अधिक समय भी साथ में गुजार रहे हैं।