सार
केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच विज्ञान भवन में 10वें दौर की बातचीत हो रही है। बातचीत से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। कानून वापस लेने पड़ेंगे और MSP पर कानून लाना पड़ेगा।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच शुक्रवार को विज्ञान भवन में 10वें दौर की बातचीत हुई। हालांकि, यह बेनतीजा रही। अब अगले दौर की वार्ता 19 जनवरी को होगी। बैठक के बाद एक किसान नेता ने कहा, कोई समाधान नहीं निकला, न कृषि कानूनों पर न MSP पर। 19 जनवरी को फिर से मुलाकात होगी।
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार से ही हम बात करेंगे। 2 ही बिंदु है। कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो। हम कोर्ट की कमेटी के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे। हमारी प्राथमिकता MSP रहेगी। सरकार MSP से भाग रही
तीनों कानूनों पर हुई चर्चा- नरेंद्र तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, तीनों कानूनों पर चर्चा हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई। यूनियन और सरकार ने तय किया की 19 जनवरी को 12 बजे फिर से चर्चा होगी।
नरेंद्र तोमर ने कहा, हमने किसान यूनियन से कहा है कि अपने बीच में अनौपचारिक समूह बना लें, जो लोग ठीक तरह से कानूनों पर चर्चा कर एक मसौदा बनाकर सरकार को दें। हम उस पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार हैं।
राहुल गांधी पर साधा निशाना
उन्होंने कहा, राहुल गांधी के बयान और कामों पर कांग्रेस पार्टी सिर्फ हंसती ही नहीं है बल्कि उनका मजाक उड़ाती है। कांग्रेस ने 2019 के घोषणापत्र में इन कृषि सुधारों का वादा लिखित में किया था, अगर उन्हें याद नहीं है तो घोषणापत्र उठाकर दोबारा पढ़ लें।
एक भी कदम आगे नहीं बढ़ रहे किसान
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, सरकार किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करती है। सरकार समिति (न्यायालय द्वारा नियुक्त) के समक्ष अपने विचार रखेगी। हम बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, किसान मीडिया में कहते हैं कि सरकार जिद पर अड़ी है, लेकिन हमने किसानों की बातें मान ली हैं। किसान एक भी कदम आगे नहीं बढ़ रहे हैं। बैठक में पीयूष गोयल ने एफसीआई से जुड़ी जानकारी दी। हालांकि किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
कानून वापस लेने पड़ेंगे- राकेश टिकैत
बातचीत से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। कानून वापस लेने पड़ेंगे और MSP पर कानून लाना पड़ेगा। बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत सकारात्मक होगी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने चार लोगों की जो कमेटी बनाई थी उसमें से एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि वे किसानों के साथ हैं।
किसान और सरकार ने अपना-अपना मंगाया लंच किया। लंच के बाद एमएसपी गारंटी पर चर्चा हुई।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने वार्ता से पहले कहा, किसान यूनियन के नेता सुप्रीम कोर्ट से भी बड़े हो रहे हैं। मंत्री जी ने लगातार 8 दौर की वार्ता की, गृहमंत्री जी लगातार उनके संपर्क में हैं, प्रधानमंत्री जी ने भी आश्वासन दिया है, कोर्ट ने कानूनों पर रोक लगा दी है। यह उनकी जिद है वे इसे छोड़ें।
किसानों ने कहा- 26 जनवरी को ऐतिहासिक परेड होगी
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, 26 जनवरी को किसान देश का सिर ऊंचा करेंगे। दुनिया की सबसे ऐतिहासिक परेड होगी। एक तरफ से जवान चलेगा और एक तरफ से किसान चलेगा। इंडिया गेट पर हमारे शहीदों की अमर ज्योति पर दोनों का मेल मिलाप होगा।
10वें दौर की बातचीत को लेकर उन्होंने कहा, हम तैयार हैं। सरकार कृषि क़ानूनों को वापस ले, इसी संबंध में शुक्रवार को मुलाकात होगी।
3 घंटे हुई थी 9वें दौर की बातचीत
- किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक 3 घंटे चली थी। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था, किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। सरकार की तरफ से कहा गया कि कानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, लेकिन कोई विकल्प नहीं मिला।
- उन्होंने कहा, सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान यूनियन अगर कानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं। आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन कानूनों को वापिस लिया जाए। लेकिन देश में बहुत से लोग इन कानूनों के पक्ष में हैं।
30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर बनी थी सहमति
- पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे। अभी 1 करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रावधान है। सरकार ने इसे हटाने पर हामी भर दी है।
- बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं किया जाएगा। किसानों का आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद हो जाएगी। अब यह कानून नहीं बनेगा।
वो 2 मुद्दे, जिसपर बात बनना बाकी है
- किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं
- किसानों की मांग है कि एमएसपी पर अलग से कानून बने। ताकि उन्हें सही दाम मिल सके।