सार

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने से 11 मरीजों की मौत हो गई। घटना रुइया अस्पताल में सोमवार रात को हुई। कलेक्टर ने घटना की पुष्टि की है। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। बताया जा रहा है कि अस्पताल में सिर्फ एक ऑक्सीजन टैंकर है। घटना के समय ऑक्सीजन लोड हो रहा था, लेकिन उसमें देरी हो गई।

तिरुपति, आंध्र प्रदेश. देश में ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच तिरुपति से एक चौंकाने वाली खबर आई है। यहां के रुइया अस्पताल में सोमवार देर रात ऑक्सीजन की कमी से 11 मरीजों की मौत हो गई। कलेक्टर एम. हरिनारायण ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि अस्पताल के पास ऑक्सीजन का सिर्फ एक टैंकर है। वो ऑक्सीजन भराने गया था। हालांकि अस्पताल में ऑक्सीजन का प्रबंध था, लेकिन उसे लोड करने में टाइम लगा। इसी बीच मरीजों की तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। घटना की गंभीरता को समझते हुए मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने जांच के आदेश दिए हैं।

मरने वालों में 9 कोरोना मरीज थे
रुइया अस्पताल को सरकार ने कोविड अस्पताल बनाया है। हालांकि यहां दूसरे अन्य मरीजों का भी इलाज चल रहा है। अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. भारती के अनुसार, ऑक्सीजन की कमी से 9 कोरोना मरीज, जबकि 3 नॉन-कोविड मरीजों की जान गई। इसके हिसाब से यह संख्या 12 होती है। 5 मरीजों की हालत गंभीर है। आशंका है कि मौतों की संख्या बढ़ सकती है। घटना की जानकारी लगते ही चित्तूर के कलेक्टर हरि नारायण, ज्वाइंट कलेक्टर और म्यूनिसिपल कमिश्नर ने अस्पताल का दौरा किया। अस्पताल में 135 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।  इस मामले को लेकर टीडीपी नेता और विधान परिषद के सदस्य लोकेश नारा ने एक वीडियो शेयर करके राज्य सरकार पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे हत्या बताया है। नारा ने ट्वीट करके लिखा कि रुइया अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत होती है। ये आपकी सरकार द्वारा हत्या है। नारा ने वीडियो मुख्यमंत्री को टैग किया है।वहीं, कुछ अन्य लोगों ने भी अस्पताल के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए हैं। बताते हैं कि ऑक्सीजन सिलेंडर लोड करने में 5 मिनट की देरी हो गई, इससे ऑक्सीजन का प्रेशर कम हो गया और मरीजों ने दम तोड़ दिया।

इससे पहले भी हो चुकी हैं मौतें

दिल्ली: 1 मई को महरौली स्थित बत्रा अस्पताल में आईसीयू में भर्ती 12 मरीजों की मौत हो गई थी। इससे कुछ दिन पहले ही जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 मरीजों की मौत हुई थी। दिल्ली के ही सर गंगाराम अस्पताल में 22-23 अप्रैल की रात 25 मरीजों ने दम तोड़ दिया था।

महाराष्ट्र: 21 अप्रैल को नासिक को जाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक लीक होने से मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल सकी थी और 22 की मौत हो गई थी।

जयपुर: यहां के गोल्डन अस्पताल में 23 और 24 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी से 21 मरीजों की मौत हो गई थी।

हैदराबाद: यहां 9 मई को टैंकर के रास्ता भटक जाने से समय पर किंग कोटी अस्पताल तक ऑक्सीजन सप्लाई नहीं हो सकी। नतीजा, 7 मरीजों ने दम तोड़ दिया था।

कर्नाटक: कर्नाटक के चामराजनगर नगर में हफ्तेभर पहले जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 24 लोगों की मौत हो गई थी। 

जम्मू: मई को जम्मू के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों की मौत हो गई थी।

बता दें कि ऑक्सीजन की सप्लाई सभी राज्यों तक उसके कोटे के हिसाब से समय पर पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 12 सदस्यी राष्ट्रीय टॉस्क फोर्स का गठन किया है।


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