सार
सर्वे के मुताबिक, दिल्ली एनसीआर के 46% घरों में पहले से ही किसी को खांसी / जुकाम / गले में खराश है, जबकि 30% घरों में पहले से ही किसी को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। दिल्ली एनसीआर के केवल 12% नागरिक प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करेंगे। केवल 22% नागरिकों का मानना है कि केंद्रीय और राज्य सरकार ने पिछले 12 महीनों में प्रदूषण को कम करने के लिए काम किया है और यह साल काफी बेहतर होगा।
नई दिल्ली. यह साल का वह समय है, जिसे लेकर दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोग डरे रहते हैं। एक तरफ देश कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ आने वाले 30 से 45 दिनों में पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जहरीली हवा आने वाली है। इन राज्यों के किसान अगली फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए ठूंठ जलाना शुरू कर देते हैं। गाड़ियों और फैक्ट्रियों के साथ खेत के ठूंठ के कारण दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 1000 तक पहुंच जाता है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इस मौसम में पहली बार 'बहुत खराब' के स्तर पर पहुंचा है। इतना ही नहीं, कुछ जगहों पर तो 'गंभीर' के स्तर पर भी है। 0 और 50 के बीच 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 पर 'ठीक', 201 और 300 पर 'खराब', 301 से 400 पर 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
वायु प्रदूषण पर दिल्ली एनसीआर के लोग क्या सोचते हैं? प्रदूषण से निपटने के लिए क्या तैयारी की है?
पिछले हफ्ते के अंत में लोगों ने क्या अनुभव किया, प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार की योजना और प्रयासों पर उनकी क्या तैयारी है...ऐसे ही सवालों को लेकर LocalCircles ने सर्वे किया, जिसमें 15,500 से सवाल पूछे गए। ये लोग दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में रहने वाले हैं।
सवाल : दिल्ली एनसीआर की एयर क्वालिटी पिछले 4 हफ्तों में 400% तक खराब हो गई है। एक्यूआई 250-350 के बीच में है। ऐसे में आप और आपके परिवार ने लोग कैसा अनुभव कर रहे हैं?
जवाब में 29% ने कहा कि घर पर 1 या अधिक सदस्यों को पहले से ही खांसी / जुकाम / गले में खराश हो रही है। 6% ने कहा कि घर में 1 या अधिक सदस्य को आंखों में जलन हो रही है। 12% ने कहा कि 1 या अधिक सदस्य को पहले से ही सांस लेने में कठिनाई हो रही है। 35% ने कहा कि उनके परिवार के सभी सदस्य अब तक ठीक हैं।
यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि दिल्ली के 65% परिवारों में 1 या अधिक व्यक्ति हैं, जिन्होंने प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों को महसूस करना शुरू कर दिया है। 47% लोग सर्दी, खांसी या गले में खराश की समस्या से जूझ रहे हैं। 26% लोगों की आंखों में जलन की दिक्कत है। 30% लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
शहर के कई डॉक्टरों और अस्पतालों ने सांस लेने में कठिनाई वाले रोगियों के मामलों की अधिक संख्या की रिपोर्ट करना शुरू कर दिया है। जिन्हें पहले से सांस लेने में दिक्कत है अगर वे खराब हवा के संपर्क में आते हैं तो उनकी दिक्कत और भी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में उन्हें कोरोना का खतरा रहता है।
सवाल : दिल्ली एनसीआर एक्यूआई 250-350 के बीच है। अगले 3-4 हफ्तों में ये 3 गुना बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए आपके परिवार के लोग क्या कर रहे हैं?
जवाब में 6% ने कहा कि वे कुछ दिनों के लिए बाहर जाने का प्लान कर रहे हैं। 21% ने कहा कि वे घर के अंदर रहेंगे। इम्यूनिटी फूड पर ज्यादा फोकस करेंगे। 12% ने कहा कि वे घर के अंदर रहेंगे। एयर प्यूरीफायर का उपयोग करेंगे। जबकि 24% ने कहा कि वे रोजाना की तरह ही रहेंगे और बाहर जाने पर मास्क पहनेंगे। 25% ने कहा कि वे जैसे पहले रहते थे वैसे ही रहेंगे। बाहर जाने पर मास्क पहनेंगे। इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड लेंगे। जबकि 9% ने कहा कि वे उपरोक्त में से कुछ भी नहीं करेंगे और जैसा हो रहा है उसके साथ ही रहेंगे।
इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि दिल्ली एनसीआर के केवल 12% नागरिक प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करेंगे। एक बड़ा हिस्सा इस प्रदूषण के साथ ही रहेगा और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड लेगा। इस साल दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री के जरिए युद्ध प्रदूषण के विरुध कैंपेन की शुरुआत की है।
सवाल : जब दिल्ली एनसीआर के लोगों से पूछा गया कि वे 12 महीनों में प्रदूषण के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की गई पहलों के बारे में क्या सोचते हैं, तो केवल 4% ने कहा कि उन्होंने (सरकार) काफी काम किया है। 7% ने कहा कि उन्होंने काफी काम किया है और इस साल कुछ बेहतर होना चाहिए। 11% ने कहा कि उन्होंने कुछ काम किए हैं, लेकिन इस साल कुछ बेहतर होना चाहिए। 11% ने कहा कि उन्होंने कुछ काम किए हैं लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। 18% ने कहा कि उन्होंने कुछ किए हैं लेकिन वह काम के नहीं हैं। 42% ने कहा कि सरकार ने कुछ भी नहीं किया। यह साल भी पिछले साल की तरह ही होगा।
इसका मतलब है कि दिल्ली एनसीआर के केवल 22% नागरिकों का मानना है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की केंद्र और राज्य सरकारों ने पिछले 12 महीनों में प्रदूषण से जुड़े मुद्दों पर काम किया है। पिछले साल कई उपायों पर चर्चा की गई थी, जिसमें समय पर बिजली की सुविधा, पानी की सप्लाई, पिकअप सर्विस, समुदाय या पंचायत स्तर पर बीज उपलब्ध कराना शामिल थे।
दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू
दिल्ली सरकार ने भी 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू करने की घोषणा की है, जिसमें डीजल जनरेटर पर रोक लगाने, एंटी-स्मॉग गन की तैनाती और कुछ जगहों पर पानी के छिड़काव जैसे कदम शामिल हैं। सभी निर्माण स्थलों में टिन शेड लगवाना, हरे रंग की चादरों से कवर करना भी शामिल किया गया है।
एम्स के निदेशक ने कहा है कि बढ़ते प्रदूषण के स्तर का कोरोना से सीधा जुड़ाव है। इससे कोरोना के केस बढ़ सकते हैं। वायु प्रदूषण से फेफड़ों में सूजन हो सकती है। कोरोना भी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है।
सर्वे डेमोग्राफिक्स
दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में रहने वाले लोगों में से 15,500+ प्रतिक्रियाएं ली गईं। 68% उत्तरदाता पुरुष थे जबकि 32% उत्तरदाता महिलाएं थीं। सर्वे LocalCircles प्लेटफॉर्म के जरिए किया गया।