सार
महाराष्ट्र में जारी सियासी तनाव के बीच सोमवार को भाजपा-शिवेसना का 30 साल पुराना गठबंधन खत्म हो गया। शिवसेना के अरविंद सावंत ने मोदी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, हमारा गठबंधन खत्म हुआ। साथ ही उन्होंने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
मुंबई. महाराष्ट्र में जारी सियासी तनाव के बीच सोमवार को भाजपा-शिवेसना का 30 साल पुराना गठबंधन खत्म हो गया। शिवसेना के अरविंद सावंत ने मोदी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, हमारा गठबंधन खत्म हुआ। साथ ही उन्होंने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
भाजपा-शिवसेना ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव साथ लड़ा था। जनता ने दोनों पार्टियों को स्पष्ट बहुमत दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी तनातनी के चलते नतीजों के बाद से ही दोनों पार्टियों में खटास नजर आ रही थी। यहां तक की शिवसेना लगातार भाजपा पर आक्रमक नजर आ रही थी। इस बात का जिक्र खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया था।
'शिवसेना का होगा मुख्यमंत्री'
18 दिन के घटनाक्रम में शिवसेना और भाजपा के बड़े नेताओं के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई। लेकिन इस दौरान तीन बार संजय राउत ने और एक बार उद्धव ठाकरे ने शरद पवार से मुलाकात की। शिवसेना मुख्यमंत्री पद पर अड़ी रही और लगातार अगला मुख्यमंत्री शिवसेना होगा, यह बात दोहराती रही।
कब क्या हुआ?
24 अक्टूबर
- 21 अक्टूबर को राज्य की 288 सीटों पर हुए चुनाव का 24 अक्टूबर को नतीजा आया। भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिलीं।
- नतीजों के बाद पहली बार शिवसेना नेता संजय राउत ने 50-50 का जिक्र किया।
- नतीजे आने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, शिवसेना को साथ चुनाव लड़ने पर धन्यवाद दिया।
- शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे नतीजों के बाद मीडिया के सामने आए और कहा कि पार्टी 50-50 फॉर्मूले पर नहीं झुकेगी। इस दौरान जब उनसे आदित्य ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आपके मुंह में घी शक्कर।
25 अक्टूबर- भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए पेंच फंसा है। महाराष्ट्र में आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री बताने वाले पोस्टर लगे।
27 अक्टूबर- शिवसेना ने सामना में लिखा- शिवसेना ने इस बार कम सीटें जीती हैं। 2014 की 63 के मुकाबले 56 सीटें जीती हैं, लेकिन उसके पास सत्ता की चाबी है।
28 अक्टूबर- संजय राउत ने भाजपा को गठबंधन धर्म निभाने की याद दिलाई। कहा- 50-50 फॉर्मूले को निभाए भाजपा। एनसीपी के साथ समर्थन को लेकर कहा कि राजनीति में सभी विकल्प खुले रहते हैं।
29 अक्टूबर- फडणवीस ने कहा, "लोकसभा चुनाव से पहले जब गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया था तब शिवसेना से ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का वादा नहीं किया गया था।" उन्होंने कहा, मैं और पांच साल के लिए मुख्यमंत्री रहूंगा।"
- केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शिवसेना को सलाह दी कि वह केंद्र और राज्य में अतिरिक्त मंत्रियों के पद ले ले और बदले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद लेने की अपनी मांग छोड़ दे।
30 अक्टूबर- भाजपा विधायक दल की मीटिंग में देवेंद्र फडणवीस को नेता चुन लिया गया। शिवसेना को लेकर मुख्यमंत्री ने नर्म संकेत भी दिए और कहा कि राज्य में गठबंधन की ही सरकार बनेगी। इसी बीच मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि भाजपा ने शिवसेना को डिप्टी सीएम और 13 मंत्री पद देने की पेशकश की।
31 अक्टूबर- शिवसेना में एकनाथ शिंदे को एक बार फिर से विधायक दल का नेता चुना गया। एकनाथ शिंदे, आदित्य ठाकरे समेत तमाम शिवसेना नेताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। उधर, राउत ने भाजपा को लेकर कड़े तेवर दिखाए, उन्होंने कहा कि अगर भाजपा पर 145 विधायकों का समर्थन है तो वे अकेले सरकार बना लें।
इसी दिन राउत ने एनसीपी नेता शरद पवार से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने फोन पर पवार से उद्धव ठाकरे की भी मुलाकात कराई।
1 नवंबर- महाराष्ट्र के वित्त मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने शुक्रवार को कहा कि अगर राज्य में सात नवंबर तक नयी सरकार नहीं बनती है तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गठन में मुख्य बाधा शिवसेना की ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग है।
2 नवंबर- शिवसेना ने अपने मुखपत्र में सुधीर मुनगंटीवार के बयान की निंदा की। इसमें लिखा गया कि ''कानून और संविधान को दबाकर जो चाहिए वो करने की नीति इसके पीछे हो सकती है। एक तो राष्ट्रपति हमारी मुट्ठी में हैं या राष्ट्रपति की मुहरवाला रबर स्टांप राज्य के भाजपा कार्यालय में ही रखा हुआ है या राष्ट्रपति जेब में हैं।
3 नवंबर- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फिर दावा किया कि महाराष्ट्र में जल्द ही सरकार का गठन होगा। लेकिन कैसे होगा उन्होंने यह जानकारी नहीं दी। उधर, सहयोगी शिवसेना ने आरोप लगाया कि राज्य में सरकार के लिए विधायकों का समर्थन जुटाने में सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल हो रहा है।
4 नवंबर- फडणवीस ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद फडणवीस ने कहा- सरकार गठन को लेकर कोई क्या कह रहा है, इस पर कुछ नहीं बोलूंगा, लेकिन यह विश्वास है कि नई सरकार जल्द बनेगी।
उधर, शरद पवार ने कहा- भाजपा-शिवसेना को जनता ने जनादेश दिया है, दोनों पार्टियों को मिलकर सरकार बनानी चाहिए।
5 नवंबर- फडणवीस ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि जनता ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को जनादेश दिया है। हमने शिवसेना को प्रस्ताव भेजा है और हमें उनकी तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। हम अगले 24 घंटे तक उनके जवाब का इंतजार करेंगे। हमारे दरवाजे खुले हैं।
6 नवंबर- कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई ने शिवसेना सांसद संजय राउत से मुलाकात की। समर्थन के संकेत दिए।
7 नवंबर- नितिन गडकरी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। राज्य की राजनीति में वापसी को लेकर उन्होंने कहा कि वे केंद्र में ही खुश हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस जी के नेतृत्व में ही सरकार बनेगी।
8 नवंबर- भाजपा-शिवसेना ने एक दूसरे पर आरोप लगाए
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफा सौंपा। इसी दौरान शिवसेना नेता संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की।
फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसेना पर लगाए आरोप
इसके बाद फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसेना पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले 10 दिनों में सारी हदें पार हुईं। हमारे संस्कार नहीं, इसलिए हमने जवाब नहीं दिया। उद्धव ठाकरे ने मेरा फोन तक नहीं उठाया। हम चर्चा के लिए तैयार थे, लेकिन शिवसेना तैयार नहीं। चुनाव हमारे साथ जीतकर आए थे फिर कांग्रेस-एनसीपी से बात क्यों की।
उद्धव ने किया पलटवार
फडणवीस के आरोपों पर उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जवाब दिया। उद्धव ने कहा, शिवसेना का सीएम होने के सपने को पूरा करने के लिए मुझे किसी के मदद की जरूरत नहीं है। देवेंद्र फडणवीस ने अमित शाह का हवाला देकर 2.5 साल के सीएम की बात होने से इनकार किया, जनता को पता है कौन झूठ बोल रहा। हमने हमेशा लोगों की आवाज उठाई है।
9 नवंबर- राउत ने ट्वीट किया, पहले अयोध्या में राम मंदिर फिर महाराष्ट्र में सरकार। उधर, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं में बातचीत हुई। राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया।
10 नवंबर- भाजपा ने सरकार बनाने से इनकार किया। शिवसेना को राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया। शिवसेना ने सरकार बनाने की कोशिशें तेज कीं। उधर, एनसीपी ने शर्त पर समर्थन देने की बात कही। एनसीपी ने कहा कि अगर शिवसेना एनडीए से बाहर आ जाती है तो वे समर्थन देने पर विचार करेंगे। उधर, शिवसेना ने कहा कि सरकार बनाने पर तभी बात होगी, जब सीएम पद को लेकर आश्वासन मिलेगा।
11 नवंबर- केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने मोदी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। शिवसेना ने इशारे में एनडीए से अलग होने का संकेत दिया। उधर, उद्धव ने पवार से मुलाकात की। कांग्रेस ने दिल्ली में बैठक के बाद राज्य के सभी नेताओं को दिल्ली बुलाया। एनसीपी ने कांग्रेस के पाले में गेंद फेंकी।