सार
निर्भया के चारों दोषी तिहाड़ जेल में बंद है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 1 फरवरी को चारों को मौत देने की तारीख तय की है। ऐसे में मीडिया में खबर है कि हर दिन निर्भया के दोषियों की सुरक्षा में 50 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं।
नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषी तिहाड़ जेल में बंद है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 1 फरवरी को चारों को मौत देने की तारीख तय की है। ऐसे में मीडिया में खबर है कि हर दिन निर्भया के दोषियों की सुरक्षा में 50 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। यह खर्च उसी दिन से शुरू हो गया, जिस दिन दोषियों का डेथ वॉरंट जारी हुआ। इसके अलावा हर वक्त 32 गार्ड सुरक्षा में तैनात रहते हैं। हर दो घंटे में सिक्यॉरिटी गार्ड की शिफ्ट बदली जाती है।
सीसीटीवी की निगरानी में दोषी
दोषी सुसाइड न कर लें या भागने की कोशिश ने करें, इसके लिए इनपर कड़ी नजर रखी जा रही है। इनके आस-पास सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दो शिफ्ट में गार्ड ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।
जेल नंबर 3 में अलग-अलग सेल में रखा गया है
चारों दोषियों को तिहाड़ के जेल नंबर 3 के अलग-अलग सेल में रखा गया है। हर दोषी के बाहर दो सिक्यॉरिटी गॉर्ड तैनात हैं।
4 कैदियों के लिए 32 सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात
चारों दोषियों के लिए 32 सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात किए गए हैं। हर दो घंटे में गार्डों को आराम दिया जाता है। शिफ्ट बदलने पर दूसरे गार्ड तैनात किए जाते हैं। हर कैदी के लिए 24 घंटे के लिए आठ-आठ सिक्यॉरिटी गार्ड लगाए गए हैं।
पूछी गई आखिरी इच्छा, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बोला
जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस थमाकर उनकी आखिरी इच्छा पूछी। उनसे पूछा गया कि 1 फरवरी को फांसी से पहले वह अपनी अंतिम मुलाकात किससे करना चाहते हैं। दोषियों से पूछा गया कि अगर उनके नाम कोई प्रॉपर्टी है तो वह उसे किसी के नाम ट्रांसफर करना चाहते हैं तो बता दें। इतना ही नहीं उन्हें इसकी भी सुविधा दी गई कि अगर किसी धर्मगुरु को बुलाना चाहते हैं तो वह भी बता दें। दोषियों से यह भी पूछा गया कि अगर मौत से पहले कोई धार्मिक किताब पढ़ना चाहते हैं तो उसके बारे में भी बता दें। उन्हों वह किताब उपलब्ध कराई जाएगी।
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
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