सार
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नियंत्रण रेखा के समीप विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों में 500 से अधिक आतंकवादी जम्मू कश्मीर में घुसने के अवसर की फिराक में बैठे हैं।
जम्मू. सेना के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नियंत्रण रेखा के समीप विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों में 500 से अधिक आतंकवादी जम्मू कश्मीर में घुसने के अवसर की फिराक में बैठे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 200 से 300 आतंकवादी पाकिस्तान के सहयोग से इस क्षेत्र को अशांत बनाये रखने के लिए जम्मू कश्मीर के अंदर सक्रिय हैं।
घुसपैठ की फिराक में हैं आतंकी
सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जहां तक जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की बात है तो बाहर से आये 200-300 आतंकवादी अपने काम में लगे हुए हैं।’’सिंह ने जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों और देश में घुसपैठ करने के लिए पीओके में तैयार बैठे आतंकवादियों की संख्या के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में यह बात कही। इसी तरह, करीब 500 पीओके में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में डेरा डाले हुए हैं और जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं।’’
पाकिस्तान करता है शांति बिगाड़ने की कोशिश
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के हिसाब से यह संख्या घटती बढ़ती रहती है।‘‘उनकी संख्या भले जो भी हो, हम उन्हें रोकने और उनका सफाया करने में सक्षम हैं ताकि इस क्षेत्र में शांति एवं सामान्य स्थिति बनी रहे।’’सैन्य कमांडर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में शांति एवं सामान्य स्थिति सुनिश्चित करना सेना का सदैव प्रयास रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पाकिस्तान यहां शांति बिगाड़ने के लिए कोशिश करता रहता है। आज भी पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी ढांचा चल रहा है। उनमें आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर और देश में घुसपैठ कराने के लिए उनके लांचिंग पैड शामिल हैं।’’
हथियार सप्लाई का नया तरीका है ड्रोन
जब सिंह से पाकिस्तान द्वारा पंजाब में ड्रोन के माध्यम से हथियार गिराने के मुद्दे पर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को हथियार से लैस रखने के लिए ड्रोनों की तैनाती पाकिस्तान का नया तरीका है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं आपको सुनिश्चित करना चाहता हूं कि भारतीय सेना पाकिस्तान के किसी भी नापाक मंसूबे को विफल करने में सक्षम और कृतसंकल्प है। उनके मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।’’
(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एसियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)