सार
कोविड महामारी में जहां अपने भी साथ छोड़ दे रहे हैं वहीं एक 52 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना से लड़ने में दूसरों की मदद करने में जुटे हुए हैं। बुजुर्ग खुद कोरोना को मात देने के बाद नौ दफा प्लाज्मा दान कर कईयों का जीवन बचा चुके हैं।
बेंगलुरू। अगर जज्बा हो तो उम्र आड़े नहीं आता। कोविड महामारी में जहां अपने भी साथ छोड़ दे रहे हैं वहीं एक 52 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना से लड़ने में दूसरों की मदद करने में जुटे हुए हैं। बुजुर्ग खुद कोरोना को मात देने के बाद नौ दफा प्लाज्मा दान कर कईयों का जीवन बचा चुके हैं।
ब्लड बैंक में नौ बार दे चुके हैं प्लाज्मा ताकि हो सके दूसरों की मदद
52 वर्षीय बुजुर्ग श्रीकांत वी. पेशे से कंसल्टेंट प्लास्टिक सर्जन हैं। बीते साल वह कोविड पाॅजिटिव हो गए थे। रिकवर होने के बाद वह हर तीन से चार सप्ताह में एक बार अपना प्लाज्मा कोविड मरीजों के लिए दान देते हैं।
अबतक 18 लोगों की हो सकी है मदद
एक यूनिट प्लाज्मा 200 मिलीलीटर से दो कोविड मरीजों का इलाज होता है। डाॅ.श्रीकांत वी. नौ दफा प्लाज्मा दे चुके हैं। इससे 18 कोरोना मरीजों की मदद हो सकी है।
प्लाज्मा देने के पहले स्पाइक प्रोटीन एंटीबाडी लेवल देखा जाता
कोविड से रिकवर हो चुके लोगों के शरीर में एंटीबाडी डेवलप हो जाता है। प्लाज्मा लेने के पहले यह देखा जाता है कि एंटीबाडी की मात्रा कितनी है। एक तय मानक से कम होने पर प्लाज्मा नहीं लिया जा सकता। ब्लड बैंक में डाॅ.श्रीकांत वी. की जांच करने वाले बताते हैं कि उनके शरीर में एंटीबाडी के लिए जब भी टेस्ट हुआ तो रिपोर्ट में मानक से अधिक एंटीबाडी मिला। डाॅ.श्रीकांत वी. कहते हैं कि प्लाज्मा दान करने से शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ना ही एंटीबाडी कम होती है।
75 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं बुजुर्ग डाॅक्टरः डाॅ.श्रीकांत वी. बताते हैं कि वह जीवन में 75 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं।
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