सार

206 साल पुराने अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला सुनाया। इसी के साथ 9 नवंबर की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई। राम मंदिर के लिए 9 नवंबर काफी अहम है। 

नई दिल्ली. 206 साल पुराने अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला सुनाया। इसी के साथ 9 नवंबर की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई। राम मंदिर के लिए 9 नवंबर काफी अहम है। दरअसल, 30 साल पहले इसी तारीख को अयोध्या में राम जन्म भूमि का शिलान्यास किया गया था। 

9 नवंबर 1989 को विश्‍व हिंदू परिषद ने हजारों समर्थकों के साथ राम मंदिर की नींव रखी थी। इस दौरान एक दलित  युवक कामेश्वर चौपाल के हाथों सबसे पहले ईंट रखवाई गई थी। 
राजीव सरकार में विवादित स्थल के पास रखी गई थी नींव
1989 को विवादित स्थल के पास जब राम मंदिर की नींव रखी गई, उस वक्त देश में राजीव गांधी की सरकार थी। सरकार ने राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहे आंदोलन को देखते हुए अनुमति दी थी। उसी साल देश में लोकसभा चुनाव भी होने थे, ऐसे में राजीव गांधी पर ऐसा करने के लिए राजनीतिक दबाव भी था। इसी के चलते हिंदू संगठनों को शिलान्यास की इजाजत दी गई थी।
 
कोर्ट ने विवादित जमीन का हक रामलला को दिया
अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया है। अदालत ने तीन महीने में ट्रस्ट बनाने के लिए भी कहा है।