सार

अकसर कहा जाता है कि सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती। यह कहावत तमिलनाडु में तिरुवरूर के रहने वाले 91 साल के चार्टर्ड अकाउंटेंट एस एम मिसकीन को 1 अक्टूबर को पीएचडी डिग्री मिलने के बाद एक बार फिर सच साबित हो गई। 

चेन्नई. अकसर कहा जाता है कि सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती। यह कहावत तमिलनाडु में तिरुवरूर के रहने वाले 91 साल के चार्टर्ड अकाउंटेंट एस एम मिसकीन को 1 अक्टूबर को पीएचडी डिग्री मिलने के बाद एक बार फिर सच साबित हो गई। 

मिसकीन तमिलनाडु में सबसे ज्यादा उम्र में पीएचडी डिग्री हासिल करने वाले शख्स बन गए हैं। मिसकीन ने चेक फ्रॉड में इसी साल अप्रैल में अपनी थीसिस जमा की थी। उन्हें तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने डॉक्टरेट की उपाधि दी। 

मिसकीन ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उम्र पढ़ाई में बाधा नहीं होती। किसी भी उम्र में आप कुछ भी कर सकते हैं। बस आप जो कर रहे हैं उसमें आपका रुचि होनी चाहिए। मैं अपने काम से संतुष्ट हूं। 

इस वजह से की पीएचडी 
वे बताते हैं कि कमर्शियल काम करने वाले ज्यादातर लोगों को चेक बाउंस के प्रभावों का पता नहीं होता। इसलिए उन्होंने इस पर अपनी थीसिस लिखने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने इस तरह के 400 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों को पढ़ा। 

मिसकीन ने 'एनालिटिकल स्टडी ऑफ ज्यूडिशियल वर्डिक्ट इन चेक डिसऑनर केसिस एंड इंपेक्ट ऑन द ऑफेंडर' विषय पर अपनी रिसर्च की। उन्होंने 2014 में इसके लिए नामांकन कराया था। इसके लिए 6 साल की डेडलाइन थी। मिसकीन ने इसे पांच साल में ही पूरा कर लिया। 

स्कूल और कॉलेज भी चलाते हैं मिसकीन
मिसकीन का जन्म 1928 में तिरुवरूर के एक गांव में हुआ। उन्होंने मद्रास (अब चेन्नई) से हाईस्कूल की। इसके बाद उनका परिवार वियतनाम चला गया। यहां सिविल वार के बाद वे दोबारा भारत लौट आए। 1956 में उन्होंने सीए किया। उन्होंने 1991 में तिरुवरूर में आंखों का अस्पताल खोला, जहां फ्री में इलाज किया जाता है। उन्होंने यहां महिलाओं के लिए 1999 में किराए की जगह पर महिलाओं के लिए कॉलेज खोला। आज यहां करीब 2000 स्टूडेंट हैं।