सार

आधार कार्ड से जुड़े फ्रॉड के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे आर्थिक नुकसान और पहचान की चोरी का खतरा है। लेकिन क्या सिर्फ़ आधार नंबर जानने से कोई आपके खाते से पैसे निकाल सकता है? जानिए आधार अधिनियम 2016 के तहत सजा और जुर्माने के प्रावधान।

धार कार्ड हर भारतीय नागरिक का एक अहम दस्तावेज़ है। कई जगहों पर इसका इस्तेमाल ज़रूरी होता है। ऐसे में इसके दुरुपयोग की आशंका भी बढ़ जाती है। हाल ही में आधार कार्ड से जुड़े कई फ्रॉड के मामले सामने आए हैं। आर्थिक नुकसान, पहचान की चोरी, और निजी जानकारी का गलत इस्तेमाल इन धोखाधड़ी के मुख्य कारण हैं।

लेकिन, सिर्फ़ आपका आधार नंबर जानने से कोई भी आपके आधार से जुड़े बैंक खाते से पैसे नहीं निकाल सकता। पर धोखेबाज़ दूसरे तरीकों से पैसे हड़पने की कोशिश करते हैं। 2016 के आधार अधिनियम में आधार से जुड़े अपराधों और उनके जुर्मानों का ज़िक्र है:

1. नामांकन के दौरान गलत जानकारी देना या किसी और के नाम पर आधार बनवाना एक अपराध है। इसके लिए 3 साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।


2. किसी के आधार नंबर, डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक जानकारी बदलकर उसकी पहचान चुराना एक अपराध है - इसके लिए 3 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

3. खुद को आधार नामांकन एजेंसी बताकर जानकारी इकट्ठा करना एक अपराध है - इसके लिए 3 साल तक की जेल या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

4. नामांकन के दौरान इकट्ठा की गई जानकारी जानबूझकर किसी और को देना एक अपराध है - इसके लिए 3 साल तक की जेल या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
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5. सेंट्रल आइडेंटिटी डेटा रिपॉजिटरी (CIDR) में गैरकानूनी तरीके से घुसना या हैकिंग करना एक अपराध है - इसके लिए 10 साल तक की जेल और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।

6. सेंट्रल आइडेंटिटी डेटा रिपॉजिटरी के डेटा में हेरफेर करना एक अपराध है - इसके लिए 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

7. किसी संस्था द्वारा किसी व्यक्ति की जानकारी का गलत इस्तेमाल करना एक अपराध है। इसके लिए 3 साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।