सार

भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लांच कर दिया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसे 2 सितंबर दिन में 11.50 बजे लांच किया गया।

 

Aditya L1 Launching. चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के सप्ताह भर के बाद ही भारत ने सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल1 मिशन भी सफलतापूर्वक लांच कर दिया है। 2 सितंबर को आदित्य एल1 को सतीश धवन स्पेस सेंटर से लांच कर दिया गया। पिछले मिशनों की तुलना में यह धरती से सबसे ज्यादा दूर जाने वाला मिशन है। इसकी जानकारी दे रहे हैं गिरीश लिंगन्ना।

क्या है आदित्य-एल1 मिशन

आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य से काफी दूर स्थित एक निश्चित स्थान पर पहुंचेगा। यह सूर्य के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगा। आदित्य एल1 कुल सात उपकरणों का उपयोग करके जानकारी जुटाएगा। यह सूर्य की बाहरी परत, उसके उत्सर्जन, उससे पैदा होने वाली हवा और उसके विस्फोटों, ऊर्जा के बड़े उत्सर्जन जैसी चीजों का अध्ययन करेगा। यह स्पेस क्राफ्ट सूर्य की तस्वीरें भी लेगा। इस मिशन के तहत कुल 5 साल तक अध्ययन किया जाना है।

सूर्य का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण

सभी ग्रह जिसमें पृथ्वी और हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रह शामिल हैं, वे सूर्य की वजह से ही बदलते रहते हैं। सूर्य का मौसम पूरे सिस्टम के मौसम को प्रभावित करता है। यह परिवर्तन दूसरे उपग्रहों को अलग तरह से स्थानांतरित कर सकता है। इलेक्ट्रॉनिक्स को नुकसान पहुंचा सकता है और पृथ्वी पर बिजली की समस्या भी पैदा कर सकते हैं। यही वजह है कि स्पेस के मौसम को समझने के लिए सूर्य की घटनाओं को जानना जरूरी है। पृथ्वी के केंद्र से सूर्य के बीच की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है।

पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी

पृथ्वी की ओर आने वाले सौर तूफानों को समझने और उनका अनुसरण करने के लिए हमें लगातार सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है। प्रत्येक तूफान जो सूर्य से शुरू होता है और पृथ्वी की ओर आता है, वह कई तरह के परिवर्तन करता है। पृथ्वी और सूर्य के बीच L1 नामक का विशेष बिंदु है। किसी उपग्रह को L1 के चारों ओर की कक्षा में स्थापित करने से मदद मिलती है क्योंकि यहां से हमेशा बिना किसी रुकावट के सूर्य को देखा जा सकता है।

क्या है एल1 यानि लैंग्रेज प्वाइंट

L1 को लैग्रेंज प्वाइंट कहते हैं। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित एक विशेष स्थान है। यह पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। इस बिंदु पर पृथ्वी और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां संतुलन में रहती हैं। जिससे वस्तुएं दोनों पिंडों के संबंध में स्थिर रह सकती हैं। यह स्थान उपग्रहों और स्पेस एजेंसीज को स्थिर स्थिति प्रदान करता है। यहां से सूर्य पर आसानी से नजर रखी जा सकती है और अंतरिक्ष के मौसम की जानकारी भी ली जा सकती है।

नासा ने लांच किया था सोलर मिशन

2018 में नासा ने पार्कर सोलर प्रोब मिशन लॉन्च किया था। पिछले अंतरिक्ष यान की तुलना में यह सूर्य के करीब गया। मोटे तौर पर यह एक छोटी कार के आकार का अंतरिक्ष यान था, जो सूर्य की बाहरी परत के माध्यम से यात्रा करता है। यह सूर्य की सतह से लगभग 4 मिलियन मील की दूरी तक पहुंचा है। पार्कर सोलर प्रोब को डेल्टा IV-हेवी रॉकेट का उपयोग करके अंतरिक्ष में भेजा गया था। यह मिशन 12 अगस्त 2018 को पूर्वी डेलाइट समय के अनुसार 3:31 बजे केप कैनावेरल से लांच किया गया था।

 

 

कितनी गर्मी बर्दाश्त करेगा आदित्य-एल1?

सूर्य के करीब यात्रा करते समय पार्कर सोलर प्रोब ने 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक का उच्च तापमान सहन किया था। उस तापमान पर भी यह बिना किसी समस्या के काम करता रहा। इसके विपरीत आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को इतनी तीव्र गर्मी का सामना नहीं करना पड़ेगा। बहरहाल, आदित्य-एल1 मिशन को अभी भी चुनौतियों से निपटना होगा। अंतरिक्ष यान सूर्य की बाहरी परतों जैसे प्रकाश मंडल, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए सात उपकरणों को ले गया है। इन उपकरणों में विद्युत चुम्बकीय, कण गतिविधियों के साथ ही चुंबकीय क्षेत्र मापने के लिए डिटेक्टर शामिल हैं।

क्या है मिशन का उद्देश्य

सूर्य का अध्ययन करने से हमें अपनी आकाशगंगा और उससे दूर तारों के बारे में जानकारी मिलेगी। सूर्य की अत्यधिक गर्मी और चुंबकीय व्यवहार उन घटनाओं को समझने का अनूठा तरीका होगा जिन्हें हम किसी प्रयोगशाला में दोबारा नहीं बना सकते। इस तरह के शोध के लिए यह विशेष प्राकृतिक प्रयोगशाला की तरह काम करेगा।

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