सार
इसरो (ISRO) द्वारा आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पहला सौर मिशन आदित्य एल 1 (Aditya L1) लॉन्च कर दिया गया है। 11:50 बजे आदित्य एल 1 को लेकर PSLV C57 रॉकेट ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी।
श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organisation) ने पहला सूर्य मिशन लॉन्च कर दिया है। 11:50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल 1 (Aditya L1) मिशन को लॉन्च किया गया। इसे भारत के सबसे भरोसेमंद रॉकेट PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) से अंतरिक्ष में पहुंचाया जा रहा है। आदित्य एल1 को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 में स्थापित किया जाएगा। यहां से यह सूर्य का अध्ययन करेगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदित्य एल1 की सफल लॉन्चिंग के लिए इसरो को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया, "चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत की स्पेस यात्रा जारी है। भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। संपूर्ण मानवता के कल्याण और ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।"
आदित्य एल1 लॉन्च
- PSLV रॉकेट का चौथा चरण पूरा होने के बाद आदित्य एल 1 सफलतापूर्वक अलग हो गया है। इसने पृथ्वी के चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही लॉन्चिंग मिशन पूरा हो गया है।
- PSLV रॉकेट का तीसरा चरण पूरा हो गया है। Aditya L1 लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 की ओर बढ़ रहा है।
- PSLV रॉकेट 175 km की ऊंचाई तक पहुंच गया है।
- आदित्य एल 1 पृथ्वी के वातावरण से बाहर पहुंच गया है। उसके बाहर लगा कवर हट गया है। PSLV रॉकेट का दूसरा चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। तीसरा चरण शुरू हो गया है। इसमें ठोस इंधन का इस्तेमाल होता है।
- PSLV रॉकेट ने तेज गर्जना के साथ आदित्य एल 1 को लेकर उड़ान भरी। रॉकेट का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इसका दूसरा फेज चल रहा है। इसमें तरल फ्यूल इस्तेमाल होता है।
- भारत का पहला सूर्य मिशन लॉन्च हो गया है। आदित्य एल 1 को लेकर इसरो के PSLV रॉकेट ने उड़ान भर ली है।
- इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने कहा कि यह इसरो और भारत के लिए एक बड़ा कदम है। नई अंतरिक्ष नीति के साथ यह अनिवार्य कर दिया गया है कि इसरो अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाएगा।
- चंद्रयान-3 की प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने कहा कि दूसरे देशों ने काफी पहले सूर्य का अध्ययन शुरू कर दिया था। भारत के पास सूर्य वेधशाला नहीं है। आदित्य एल1 के साथ भारत भी सूर्य का अध्ययन करेगा। इससे हम अंतरिक्ष के मौसम को समझ पाएंगे। इसके साथ ही आगामी अंतरिक्ष अभियानों में भी मदद मिलेगी।
क्या है आदित्य एल1?
आदित्य-एल1 एक वेधशाला है। इसका काम सूर्य का अध्ययन करना है। सूर्य धरती का सबसे करीबी तारा है। सूर्य की सतह पर होने वाली हलचल का असर धरती तक आता है। इसके चलते दुनिया के कई देश सूर्य के रहस्यों को जानने के लिए मिशन चला रहे हैं। इसी क्रम में इसरो ने अपना पहला सौर मिशन शुरू किया है। आदित्य-एल1 सात अत्याधुनिक उपकरण से लैस है। इनकी मदद से सूर्य के विभिन्न पहलुओं की जांच की जाएगी। इन उपकरणों में विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टर शामिल हैं। ये सूर्य के प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परत रहस्यमय कोरोना की जांच करेंगे।
क्यों सूर्य का किया जा रहा अध्ययन?
सूर्य धरती का सबसे करीबी तारा है। दूसरे तारों की तुलना में पास होने के चलते इसका गहराई से अध्ययन किया जा सकता है। इससे न केवल सूर्य के बारे में जानकारी मिलेगी बल्कि आकाशगंगा और आकाशगंगाओं के भीतर के तारों के बारे में भी पता चलेगा। सूर्य से ही धरती को ऊर्जा मिलती है। इसके सतह पर विस्फोटक घटनाएं होती हैं। इससे सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। इस तरह के सौर विस्फोट अगर पृथ्वी की ओर होते हैं तो अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं। इन गड़बड़ियों को कम करने के लिए समय पर चेतावनी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसके लिए सूर्य की गहराई से जांच की जा रही है।