सार
शाह ने कहा, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार तीन पहिए वाला ऑटो रिक्शा है। इसके तीनों पहिए अलग अलग दिशा में चलते हैं। उन्होंने कहा, विधानसभा चुनाव में जनता पवित्र जनादेश दिया था। उसका सत्ता के लालच में अनादर किया गया। जो लोग हम पर वादा तोड़ने का आरोप लगाते हैं।
मुंबई. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रविवार को सिंधुदुर्ग पहुंचे। यहां उन्होंने मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया। इसी के साथ उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को नसीहत तक दे डाली। शाह ने कहा, महाराष्ट्र में आज आप जो कर रहे हैं, जब भाजपा की सरकार थी, तब हमने किया होता तो आपकी पार्टी अस्तित्व में नहीं होती। हमें यह रास्ता पसंद नहीं है।
शाह ने कहा, हम जनकल्याण, अंत्योदय, राष्ट्र भक्ति और राष्ट्र कल्याण के मार्ग पर चलते हैं। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र सरकार क्या समझती है, भाजपा कार्यकर्ता इससे डर जाएंगे। ऐसा बिल्कुल नहीं होगा, हमारे कार्यकर्ता डंके की चोट पर आमने-सामने की लड़ाई लडेंगे।
उद्धव सरकार तीन पहिए वाला ऑटो
शाह ने कहा, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार तीन पहिए वाला ऑटो रिक्शा है। इसके तीनों पहिए अलग अलग दिशा में चलते हैं। उन्होंने कहा, विधानसभा चुनाव में जनता पवित्र जनादेश दिया था। उसका सत्ता के लालच में अनादर किया गया। जो लोग हम पर वादा तोड़ने का आरोप लगाते हैं। उनसे कहना चाहता हूं कि हम वादे पर खरे उतरने वाले लोग हैं। बिहार में भाजपा की सीटें नीतीश कुमार की पार्टी से ज्यादा आने के बावजूद हमने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया।
हम बंद कमरे की राजनीति नहीं करते
गृहमंत्री ने कहा, वे कहते हैं कि हमने बंद कमरे में वादा किया था और वह मैंने किया था। शाह ने कहा, मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मैं कभी भी बंद कमरे में वादा नहीं करता, जो करता हूं डंके की चोट पर सार्वजनिक रूप से करता हूं। मैंने कभी कमरे की राजनीति नहीं की। मैं जनता के बीच रहने वाला व्यक्ति हूं। किसी से नहीं डरता, जो होता है, सब के बीच धड़ल्ले से करूंगा।
सत्ता के मोह में शिवसेना ने बालासाहेब के सिद्धांतों को नदी में डाला
शाह ने कहा, मैं फिर कहता हूं कि मैंने उनसे कोई वादा नहीं किया। मैं उद्धव से पूछता हूं कि चुनाव प्रचार में हमने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनाने की बात कही, तो आपने क्यों कुछ नहीं कहा?
गृह मंत्री ने कहा, दरअसल, मैंने शिवसेना अध्यक्ष से कोई वादा नहीं किया। शिवसेना ने सत्ता के मोह में बाला साहेब ठाकरे के सभी सिद्धांतों को तापी नदी में डाल दया और उद्धव सीएम बन गए।