सार
पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद अभी निपटा नहीं है। इसी बीच चीन की हर रणनीति को नाकाम करने के उद्देश्य से भारतीय सेना ने एलएसी पर कुछ बदलाव किए हैं। आईए जानते हैं अनीश सिंह की खास रिपोर्ट...
नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद अभी निपटा नहीं है। इसी बीच चीन की हर रणनीति को नाकाम करने के उद्देश्य से भारतीय सेना ने एलएसी पर कुछ बदलाव किए हैं। आईए जानते हैं अनीश सिंह की खास रिपोर्ट...
17 कोर का हुआ पुनर्गठन
भारतीय सेना ने सीमा पर जो बदलाव किए हैं, वे भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। अपने संरचनात्मक परिवर्तन के तहत, सेना ने अपने पनागढ़ मुख्यालय माउंटेन स्ट्राइक कोर या 17 कोर का पुनर्गठन किया है, यह जल्द से जल्द तैनात होने, पहाड़ों पर घुसपैठ का जवाब देने की क्षमता रखती है।
गलवान हिंसा ने हमें पुनर्गठन करने के लिए प्रेरित किया
सेना दिवस से पहले सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवाणे ने कहा, खतरे की संभावना को देखते हुए सर्दियों के लिए हमने तैनाती की है। उन्होंने गलवान हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, पूर्वी लद्दाख की घटना ने हमें अपने पुनर्गठन और अपनी क्षमता को बढ़ाने की जरूरतों के लिए प्रेरित किया है।
पूर्वी लद्दाख में बदलाव की बात करते हुए आर्मी चीफ ने बताया कि संभव खतरे को देखते हुए तमाम बदलाव किए गए हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, यह एक सतत और चलने वाली प्रक्रिया है। हाल ही में पूर्वी लद्दाख में जो घटनाएं हुईं उनसे पता चला है कि वास्तव में हमारी उत्तरी सीमाओं पर पुनर्संतुलन की जरूरत थी और यही हमने अब लागू किया है।
क्या है IBG ?
उन्होंने कहा, Mountain Strike Corps के प्रारूप में विभाजन नहीं किया गया है। लेकिन सैनिकों को 3-4 एकीकृत युद्ध ग्रुपों (IBG) में बांटा गया है। Mountain Strike Corps मेजर जनरल द्वारा कमांड की जाती है। इसमें 3-4 ब्रिगेड में 10-15 हजार सैनिक होते हैं। वहीं, IBG में 4 से 5 हजार सैनिक होते हैं।
सेना की योजना है कि 12-13 IBG ग्रुप बनाए जाएं और इन्हें और साधन दिए जाएं। IBG चुस्त आत्मनिर्भर मुकाबला करने वाली टुकड़ी हैं जो किसी भी खतरे की स्थिति में जल्दी से हमले शुरू कर सकें।
IBG के नए फॉर्मेट को 2019 में 'हिम विजय' युद्धाभ्यास के दौरान अजमाया जा चुका है। यहां यह बताना जरूरी है कि भारत और चीन के बीच 3488 किमी लंबी सीमा मिलती है। यह अरुणाचल से शुरू होकर सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल से लद्दाख तक है।