सार

पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग को लेकर सोमवार को हुई कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई। इस कलह को लेकर एएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम कार्ड खेलने की कोशिश की। ओवैसी ने कहा, कांग्रेस में मुस्लिम नेताओं को सोचना चाहिए कि वे कब तक कांग्रेस के गुलाम बने रहेंगे।

नई दिल्ली. पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग को लेकर सोमवार को हुई कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई। इस कलह को लेकर एएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम कार्ड खेलने की कोशिश की। ओवैसी ने कहा, कांग्रेस में मुस्लिम नेताओं को सोचना चाहिए कि वे कब तक कांग्रेस के गुलाम बने रहेंगे।

ओवैसी ने कहा, गुलाम नबी आजाद हमें बीजेपी की 'B' टीम कहते हैं। अब उनकी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ही कह रहे हैं कि उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस में मुस्लिम नेताओं को सोचना चाहिए कि वे कब तक कांग्रेस के गुलाम बने  रहेंगे।

क्या है चिट्ठी का मामला?
बताया जा रहा है कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल , पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित जैसे 23 नेताओं ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलना चाहिए, जो जमीन पर सक्रिय हो। इसमें कहा गया है कि नया अध्यक्ष कांग्रेस मुख्यालय और प्रदेश कमेटी के कार्यालयों में उपलब्ध हो सके।   

राहुल ने कहा- भाजपा के साथ मिलकर लिखी गई चिट्ठी
बैठक में राहुल गांधी ने चिट्ठी को लेकर नाराजगी जताई है। राहुल ने पत्र के समय को लेकर सवाल उठाए हैं। राहुल ने कहा, नेतृत्व में बदलाव की मांग ऐसे वक्त पर क्यों कि गई, जब सोनिया गांधी एम्स में भर्ती थीं। राहुल ने कहा, ऐसा वक्त क्यों चुना गया जब पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में लड़ाई लड़ रही थी। राहुल ने कहा, जिस तरह से चिट्ठी को लीक किया गया, उससे उन्हें ठेस पहुंची। इतना ही नहीं उन्होंने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर भाजपा के साथ गठबंधन का आरोप लगाया।

आजाद ने पहले दिया जवाब फिर पलटे
इस चिट्ठी को लेकर राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों पर गुलाम नबी आजाद ने जवाब भी दिया। उन्होंने कहा, अगर भाजपा के साथ गठबंधन के आरोप सही साबित होते हैं। तो वे सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा, राहुल द्वारा बैठक में या उससे बाहर ऐसे आरोप नहीं लगाए गए। वहीं, सिब्बल ने भी अपना बयान बदल लिया।