सार
केरल (kerala) में एक सामाजिक कार्यकर्ता को उसका 1 साल का बेटा वापस मिल गया है। बिना शादी के जन्मा यह बच्चा उसके पिता ने गोद देने वाली एजेंसी (Adoption Agency) को सौंप दिया था। 13 महीने की कानूनी लड़ाई के बाद आखिर अनुपमा (Anupama) को जीत मिली।
तिरुवनंतपुरम। केरल में बच्चा गोद लेने का एक विवादास्पद मामला आखिरकार उसके माता-पिता के पक्ष में आया। 13 महीने बाद इस जोड़े को उनका बेटा वापस मिलने के आदेश हुए। इस दौरान यह राजनीतिक मुद्दा भी बना। एशियानेट न्यूज ने इसे जबरदस्त तरीके से उठाया। इसका परिणाम ये हुआ कि कोर्ट ने दंपति का डीएनए टेस्ट (DNA Test) कराया। इसकी रिपोर्ट आने के बाद दंपति के पक्ष में फैसला आया। लोग ट्विटर पर इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एशियानेट न्यूज का धन्यवाद कर रहे हैं।
बिना शादी जन्मा बेटा तो घर में खड़ा हुआ तूफान
बच्चे की मां अनुपमा (22) एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह बताती हैं कि 19 अक्टूबर 2020 को उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया था। उस वक्त वे शादीशुदा नहीं थीं। यह बच्चा उनके 34 वर्षीय विवाहित बॉयफ्रेंड अजीत कुमार का था। अजीत एक अस्पताल में पीआरओ थे। जब अनुपमा के परिजनों को गर्भवती होने की खबर पता चली तो उनके घर में तूफान खड़ा हो गया। परिजनों ने उन्हें अजीत से संपर्क तोड़ने को कहा और डिलीवरी करवाई। बच्चे के जन्म के बाद अनुपमा जब अस्पताल से डिस्चार्ज हुईं तो परिजन उन्हें और बच्चे को अपने साथ ले गए। उन्होंने अनुपमा से कहा कि वे किसी दोस्त के घर पर रहें, क्योंकि उनकी बहन की तीन महीने बाद शादी है और घर आने वाले मेहमान इस नवजात के बारे में पूछ सकते हैं।
पिता ने गोद देने वाली एजेंसी को सौंपा बच्चा
अनुपमा का आरोप है कि उनके अस्पताल से लौटने के बाद पिता ने उनके बच्चे को उनसे ले लिया। इसके बाद परिजनों ने उन्हें 200 किमी दूर उनकी दादी के घर छोड़ दिया। इस साल फरवरी में जब वे बहन की शादी में शामिल होने के लिए आईं तो उन्होंने अजीत को बताया कि उनका बेटा लापता है। अनुपमा ने बताया कि उनके परिजनों ने बच्चे को गोद देने के लिए दे दिया है। मार्च में उन्होंने परिजनों का घर छोड़ दिया और अजीत और उनके परिजनों के साथ रहने लगीं। इसके बाद उन्होंने बेटे की खोजबीन शुरू की। अस्पताल में उन्होंने पता किया तो बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र पर पिता के नाम के तौर पर अजीत का नहीं बल्कि किसी और का नाम दर्ज था। वे थाने पहुंचीं। पहले तो पुलिस ने शिकायत ही दर्ज नहीं की। बाद में पुलिस ने बताया कि अनुपमा के पिता ने उन्हें जानकारी दी है कि अनुपमा ने खुद ही अपना बच्चा गोद दे दिया है। इसके बाद यह जोड़ा गोद देने वाली एजेंसी, मुख्यमंत्री और राज्य के पुलिस प्रमुख तक अपनी शिकायत लेकर पहुंचा।
दो हफ्ते से प्रदर्शन कर रहा था जोड़ा
दो हफ्ते पहले इस जोड़े ने प्रदर्शन शुरू किया। इसके बाद विधानसभा में यह मुद्दा उठा। अगस्त में कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के उस जोड़े का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया, जिसे यह बच्चा दिया गया था। टेस्ट के नतीजे आने के बाद गोद दिए गए बच्चे को वापस तिरुवनंतपुरम लाया गया। मंगलवार की शाम अनुपमा और अजीत को खबर दी गई कि बच्चे से उनका डीएनए मिल गया है। इसके बाद दोनों बच्चे से मिले। उनका बच्चा अब एक साल से ज्यादा उम्र का हो चुका है।
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