सार

गौहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को असम के धेमाजी में 15 अगस्त 2004 को हुए बम विस्फोट के दोषियों को मिली सजा के खिलाफ सुनवाई करते हुए फैसला दिया।

Assam Dhemaji Bomb blast: असम के धेमाजी में हुए बम विस्फोट के आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। विस्फोट में 13 स्कूली बच्चों सहित 18 लोग मारे गए थे। ब्लास्ट, स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान हुआ था। इस हादसा में कम से कम 40 लोग घायल हुए थे। विस्फोट के करीब 15 साल बाद स्थानीय कोर्ट ने आरोपियों की सजा तय करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चार साल बाद उस सजा के खिलाफ सुनवाई करते हुए गौहाटी हाईकोर्ट ने सभी छह दोषियों को बरी कर दिया।

विस्फोट की जिम्मेदारी उल्फा उग्रवादियों ने ली थी

गौहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को असम के धेमाजी में 15 अगस्त 2004 को हुए बम विस्फोट के दोषियों को मिली सजा के खिलाफ सुनवाई करते हुए फैसला दिया। इस बम विस्फोट में 13 बच्चों सहित 18 लोग मारे गए थे। स्वतंत्रता दिवस पर यह बम ब्लास्ट हुआ था। इसमें 40 लोग के आसपास लोग घायल भी हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (उल्फा) ने ली थी।

ब्लास्ट के 15 साल बाद स्थानीय कोर्ट ने सुनाई थी सजा

2019 में धेमाजी जिला और सत्र न्यायालय ने लीला गोगोई, दीपांजलि बुरागोहेन, मुही हांडिक और जतिन दुबोरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा प्रशांत भुयान और हेमेन गोगोई को चार साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस हमले के पीड़ितों को करीब 15 साल बाद स्थानीय अदालत से न्याय मिला था।

हाईकोर्ट ने दोषियों को किया बरी

गौहाटी हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की है। सजा पाने वाले सभी दोषियों ने हाईकोर्ट में लोकल कोर्ट की सजा के खिलाफ अपील की थी। गौहाटी हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि छह लोगों को बरी कर दिया गया है क्योंकि उन्हें संदेह का लाभ दिया गया है। अदालत ने यह नहीं कहा कि वे शामिल नहीं थे। लेकिन आपराधिक मामलों में अपराध को परे साबित करना पड़ता है। अभियोजन आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा। इसलिए उचित संदेह का लाभ देते हुए अभियुक्तों को बरी किया जाता है।

पीड़ित परिवारों ने नाखुशी जाहिर की

पीड़ितों के परिवार के एक सदस्य ने कहा कि वे न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। हमें उम्मीद थी कि हाईकोर्ट हमें न्याय देगा लेकिन सभी दोषियों को बरी कर दिया गया है। हम परेशान हैं। एक अन्य पीड़ित के रिश्तेदार ने कहा कि उन्हें निचली अदालत ने 2019 में ही दोषी पाया था और वे सिर्फ तीन साल बाद रिहा होने जा रहे हैं। क्या यह न्याय है?

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