1972 में मेघालय को असम से अलग कर राज्य बनाया गया है। दोनों राज्य 733 किलोमीटर की सीमा साझा करते है। मेघालय कम से कम 12 इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है जो फिलवक्त असम के कब्जे में है।
नई दिल्ली। मेघालय और असम का पांच दशक पुराना सीमा विवाद सुलझाने की पहल शुरू हो चुकी है। गुरुवार को इस विवाद को सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग की है। मीटिंग में असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) और मेघालय (Meghalaya) के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा (CM Conrad Sangma) की बातों को सुना गया। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि गृह मंत्रालय 26 जनवरी को फिर से अधिकारियों के साथ मीटिंग करेगा।
गिव एंड टेक फार्मूले पर सुलझा रहा गृह मंत्रालय विवाद
दरअसल, इस पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए Give-and-take फॉर्मूले को मंजूरी दी गई है। पहले चरण में 12 विवादित क्षेत्रों में से छह क्षेत्रों का समाधान किया जाएगा। इन क्षेत्रों में हाहिम, गिज़ांग, ताराबारी, बोकलापारा, खानापारा-पिलिंगकाटा और रातचेरा शामिल है। वहीं अन्य छह क्षेत्रों, जहां विवाद अधिक जटिल हैं, उसपर बाद में विचार किया जाएगा। योजना के अनुसार सीमा का सीमांकन संसद प्रक्रिया के बाद किए जाने की उम्मीद है। जबकि, जरूरी क्षेत्रों के निरीक्षण के लिए सर्वे ऑफ इंडिया को भी लगाया जाएगा।
पचास साल से अधिक समय हो गया इस विवाद के
1972 में मेघालय को असम से अलग कर राज्य बनाया गया है। दोनों राज्य 733 किलोमीटर की सीमा साझा करते है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों पड़ोसी राज्यों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच कई झड़पें हुई है। मेघालय कम से कम 12 इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है जो फिलवक्त असम के कब्जे में है। यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 को चुनौती दी थी। अधिनियम के तहत असम को जो इलाके दिए गए थे, उसे मेघालय ने खासी और जयंतिया पहाड़ियों का हिस्सा होने का दावा किया था। इस साल 21 जनवरी को मेघालय अपना 50वां स्थापना दिवस मनाएगा और दोनों राज्यों की सरकारें स्वर्ण जयंती समारोह से पहले विवाद सुलझाने में जुटी है।
यहभीपढ़ें:
Republic Day parade मेंभव्यफ्लाईपास्ट: 75 लड़ाकूविमानआजादीके 75 सालपूरेहोनेपरकरेंगेताकतकामुजाहिरा
