सार
कोलकाता के कोठारी बंधुओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। कोठारी बंधुओं ने बाबरी मस्जिद पर भगवा झंडा लहराकर पुलिस प्रशासन को चुनौती दिया था।
नई दिल्ली. अयोध्या पर फैसला आ चुका है ऐसे में सामाजिक सोहार्द से जुड़ी बातें फिजाओं में तैरने लगी हैं। माहौल को शांतिपूर्ण बनाने के लिए हिंदू मुस्लिम दोनों ही फैसले का दिल खोलकर सम्मान कर रहे हैं। इसी में हम आपको
बंगाल की राजधानी कोलकाता के रहने वाले ‘कोठारी बंधुओं’की कहानी सुनाने जा रहे हैं। ये दोनों वे लोग हैं जिन्होंने विवादित ढांचे पर केसरियां फहराया था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इन कार्यकर्ताओं को मंदिर पर फैसला आने के बाद सोशल मीडिया पर याद किया जा रहा है। दोनों भाइयों की कहानी ट्रेैंड कर रही है। पर आज दोनों इस दुनिया में नहीं हैं। अयोध्या श्रीराम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में बड़ा आंदोलन 1990 में हुआ था। 30 अक्टूबर 1990 को विवादित परिसर में बने बाबरी मस्जिद के गुंबद पर कोठारी बंधुओं ने भगवा लहराया था। पुलिस फायरिंग में दोनों भाइयों की मौत हो गई थी।
ये भी पढ़ें- मंदिर के लिए विवादित जगह पर इस दलित ने रखी थी पहली ईंट, नारा दिया था, 'राम नहीं तो रोटी नहीं'
अयोध्या के राममंदिर आंदोलन में कोलकाता के कोठारी बंधुओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। कोठारी बंधुओं ने बाबरी मस्जिद पर भगवा झंडा लहराकर पुलिस प्रशासन को चुनौती दिया था। विवादित ढांचे की गुबंद पर चढ़ भगवा लहराकर नीचे उतरने वाले इन कोठारी बंधुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
कारसेवा करने पहुंचे थे अयोध्या
कोलकाता के बड़ा बाजार के रहने वाले रामकुमार कोठारी (23) और शरद कोठारी (24) सगे भाई थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसए से जुड़े थे। नियमित शाखा जाने वाले कोठारी बंधुओं ने वर्ष 1990 के अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में कार सेवा करने का फैसला किया था। उन दिनों अयोध्या में राममंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। राम और शरद कोठारी ने 22 अक्टूबर की रात कोलकाता से ट्रेन पकड़ी थी।
दो सौ किमी. चले थे पैदल
अयोध्या जाने से लोगों को रोक दिया गया था। आजमगढ़ के फूलपुर कस्बे तक आ गए थे। यहां से आगे का रास्ता बंद था। दोनों भाई पैदल ही अयोध्या की ओर निकल गए। 200 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय किया। 25 अक्टूबर को फूलपुर से चले राम और शरद कोठारी 30 अक्टूबर की सुबह अयोध्या पहुंचे।
ये भी पढ़ें- रामलला को जगाकर बताया गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, फिर चढ़ाए गए सवा किलो पेड़े
राम और शरद कोठारी सबसे पहले गुंबद पर चढ़े
राम और शरद कोठारी 30 अक्टूबर को अयोध्या के विवादित परिसर में पहुंचने वाले पहले लोगों में शामिल थे। यहाँ कर्फ्यू था। यूपी पीएसी के करीब 30 हजार जवान अयोध्या में तैनात थे। बावजूद इसके कारसेवकों का जत्था अशोक सिंघल, उमा भारती और विनय कटियार जैसे नेताओं की अगुआई में विवादित परिसर की ओर बढ़ रहा था। 30 अक्टूबर तक अयोध्या में लाखों कारसेवक इकट्ठा थे। विवादित परिसर की बैटिकेंटिंग टूट गयी। कारसेवकों ने ही इसे तोड़ा था। 5 हजार कारसेवक अंदर घुस गए। राम और शरद कोठारी भी इनमें शामिल थे। पुलिस को चकमा देता हुआ शरद कोठारी बाबरी मस्जिद की गुबंद पर चढ़ गया। पीछे-पीछे राम कुमार कोठारी भी गुबंद पर पहुंच गया। फिर विवादित ढांचे पर भगवा लहरा दिया।
पुलिस फायरिंग में मारे गए कोठारी बंधु
30 अक्टूबर को बाबरी मस्जिद की गुबंद पर भगवा लहराने के बाद 02 नवम्बर को दोनों भाई विनय कटियार के नेतृत्व में हनुमानगढ़ी जा रहे थे। इस बीच पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की फायरिंग से बचने के लिए दोनों लाल कोठी वाली गली के एक घर में छिप गए। थोड़ी देर बाद घर से बाहर आए और पुलिस की गोली का शिकार होकर वहीं दम तोड़ दिया। पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में उस समय करीब डेढ़ दर्जन कार सेवकों की मौत हुई थी।