सार

अयोध्या में विवादित रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर बुधवार को दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने निर्मोही अखाड़ा से रामजन्मभूमि पर अपना दावा साबित करने के लिए सबूत मांगे।

नई दिल्ली.  अयोध्या में विवादित रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर बुधवार को दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस बोबडे ने रामलला के वकील के परासरण से पूछा कि क्या जिस तरह राम का केस सुप्रीम कोर्ट में आया है, कहीं और किसी गॉड का केस आया है, क्या जीसस बेथलम में पैदा हुए, इस पर किसी कोर्ट में सवाल उठा था। रामलला के वकील के परासरण ने कहा कि वह इस मसले को चेक कराएंगे। इस मामले में अब बुधवार को सुनवाई होगी।

इससे पहले के परासरण ने कहा कि ब्रिटिश राज्य में भी जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने बटवारा किया, तो उस जगह को उस जगह को मस्जिद की जगह राम जन्मस्थान का मंदिर माना था। अंग्रेजों के जमाने के फैसले में भी वहां बाबर की बनाई मस्जिद और राम जन्मस्थान का जिक्र किया था। लोग ऐसा मानते है उनका विश्वास है कि राम वहां विराजमान हैं और ये अपने आप मे ठोस सबूत है कि वो राम की जन्मस्थली है। 

'रामजन्म भूमि पर अपना दावा साबित करने के लिए सबूत पेश करे निर्मोही अखाड़ा'
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने निर्मोही अखाड़ा से रामजन्मभूमि पर अपना दावा साबित करने के लिए सबूत मांगे। इस पर अखाड़ा की ओर से पेश वकील ने कहा कि 1982 में वहां डकैती हुई, जिसमें सारे दस्तावेज गायब हो गए। चीफ रंजन गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा से कहा कि वे अगले 2 घंटों में रामजन्म भूमि से जुड़े साक्ष्य कोर्ट में पेश करें। बेंच में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप हमें रामजन्मभूमि से जुड़े असली दस्तावेज दिखाएं। इसपर निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि सभी दस्तावेज इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में दर्ज हैं।

मध्यस्थता विफल होने के बाद रोजाना सुनवाई कर रहा है सुप्रीम कोर्ट
मध्यस्थता प्रयास विफल हो जाने के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 सदस्यों की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। इस समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सील बंद लिफाफे में अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी।

मध्यस्थता समिति पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। 18 जुलाई को मध्यस्थता पैनल ने स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। उस वक्त चीफ जस्टिस ने समिति से जल्द ही अंतिम रिपोर्ट पेश करने को कहा था। बेंच ने कहा था कि मध्यस्थता से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो रोजाना सुनवाई पर विचार करेंगे। 
 
मामला सुलझाने के लिए 15 अगस्त का वक्त मिला था
मई में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की बेंच ने मध्यस्थता समिति को इस मामले को सुलझाने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था। बेंच ने सदस्यों से 8 हफ्तों में मामले का हल निकालने के लिए कहा था। 

सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या में 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन समान हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं हैं। बेंच इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है।