सार

हालिया सुस्ती के बावजूद भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। उसके आर्थिक वृद्धि के आंकड़े दुनिया के अधिकांश देशों से अधिक है। भारत अभी भी व्यापक क्षमता वाली तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।

वाशिंगटन. वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। इससे 2019 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 6 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी व्यापक संभावनाओं के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। विश्वबैंक के अर्थशास्त्री ने रविवार को यह बात कही।

सुस्ती के बावजूद तेजी से बढ़ रही है इंडियन इकॉनमी 
विश्वबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री (दक्षिण एशिया) हंस टिम्मर ने बताया , " हालिया सुस्ती के बावजूद भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। उसके आर्थिक वृद्धि के आंकड़े दुनिया के अधिकांश देशों से अधिक है। भारत अभी भी व्यापक क्षमता वाली तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। "दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस के ताजा संस्करण में विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया। हालांकि, विश्वबैंक ने कहा कि वृद्धि दर धीरे-धीरे सुधर कर 2021 में 6.9 प्रतिशत और 2022 में 7.2 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है।

वैश्विक मंदी का दिख रहा है असर 
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल पर टिम्मर ने कहा , " हालिया वैश्विक नरमी से भारत में निवेश और खपत प्रभावित हुये हैं। इसकी वजह से उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। " भारत की आर्थिक वृदधि दर 2016 में 8.2 प्रतिशत थी और अगले दो साल में यह 2.2 प्रतिशत गिर गई है। उन्होंने कहा , " यह सबसे बड़ी गिरावट नहीं है लेकिन यह 2012 से तुलना करने योग्य है , जहां नरमी का असर था। हालांकि , 2009 में हमने जो गिरावट देखी यह उससे कुछ कम है। लेकिन , यह गंभीर सुस्ती है। यह बात सही है। " टिम्मर ने कहा यदि आप घरेलू मांग की वृद्धि को देखते हैं तो यह जीडीपी के मुकाबले अधिक तेजी से नीचे आ रही है क्योंकि इसमें आयात भी तेजी से सुस्त पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में अलग मामला है जहां कंपनियों और घरेलू दोनों स्तरों पर निवेशक निवेश को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं।

भारत से बेहतर होगी नेपाल और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था 
टिम्मर ने कहा कि विश्वबैंक ने अनुमान में कहा है कि " भारत की 80 प्रतिशत आर्थिक नरमी " का कारण अतंरराष्ट्रीय कारक हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे विचार में यह काफी कुछ उसी के अनुरूप है जो कि दुनिया में हो रहा है। इस समय दुनिया में सब जगह निवेश की रफ्तार काफी तेजी से धीमी पड़ रही है। जहां तक ऋण की बात है यह एक धारणा से चल रहा है जो कि पूरी दुनिया में फैली हुई और यह धारणा वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता की है।’’ वहीं , विश्वबैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2019 में भारत के मुकाबले बांग्लादेश और नेपाल की अर्थव्यवस्था के अधिक तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि , बैंक ने वैश्विक सुस्ती के कारण चालू वित्त वर्ष में दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि में गिरावट का अनुमान जताया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर और गिरकर महज 2.4 प्रतिशत रह सकती है।

2019 में 8.1 प्रतिशत रह सकती है बांग्लादेश की जीडीपी ग्रोथ 
बैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष में दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया है। यह अप्रैल 2019 के पूर्वानुमान से 1.1 प्रतिशत कम है। बांग्लादेश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2019 में 8.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2018 में 7.9 प्रतिशत की दर से अधिक है। इसके 2020 में 7.2 प्रतिशत और 2021 में 7.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया गया है। नेपाल के मामले में, जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में औसतन 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)