सार
भारत सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई नेजल वैक्सीन इन्कोवैक (Incovacc) को बूस्टर डोज के लिए मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कंपनी ने इसकी कीमत को लेकर भी खुलासा किया है।
Nasal Vaccine Incovacc Price: भारत सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई नेजल वैक्सीन इन्कोवैक (Incovacc) को बूस्टर डोज के लिए मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कंपनी ने इसकी कीमत को लेकर भी खुलासा किया है। ये नैजल वैक्सीन अब CoWin पर उपलब्ध है और इसकी कीमत प्राइवेट अस्पतालों के लिए 800 रुपए, जबकि सरकारी अस्पतालों के लिए 325 रुपए रखी गई है। बता दें कि इस वैक्सीन को भारत सरकार ने अपने कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेजल वैक्सीनेशन जनवरी के चौथे हफ्ते से शुरू की जाएगी
किसे दी जा सकेगी नैजल वैक्सीन?
ये वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को दी जाएगी। नाक से दी जाने वाली इस वैक्सीन को बूस्टर डोज की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि भारत बायोटेक ने इसी साल 6 सितंबर को ये घोषणा की थी कि उसकी दुनिया की पहले इंट्रानेजल कोरोना वैक्सीन iNCOVACC (BBV154) को डीजीसीआई की ओर 18 साल से ऊपर के लोगों के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।
कैसे दी जाएगी नैजल वैक्सीन?
नैजल वैक्सीन iNCOVACC नाक के जरिए स्प्रे करते हुए दी जाएगी। इसे कोविशील्ड या कोवैक्सीन की तरह इंजेक्शन के जरिए नहीं दिया जाएगा। लोग इसे बड़े आराम से स्प्रे के जरिए बिना किसी तकलीफ के ले सकते हैं। IMA के सेक्रेटरी अनिल गोयल के मुताबिक, नेजल वैक्सीन भी दूसरी वैक्सीन की तरह ही असरकारक है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे इंजेक्शन की तरह लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि नाक के जरिए दिया जा सकेगा। बता दें कि इस वैक्सीन को वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, सेंट लुइस के साथ मिलकर डेवलेप किया गया है।
4 हजार लोगों पर हुआ था सफल ट्रायल :
भारत बायोटेक ने करीब 4 हजार लोगों पर इस नैजल वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल किया था। इनमें से किसी पर भी वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला था। यह वैक्सीन कोरोना इन्फेक्शन को रोकने में बहुत मददगार साबित होगी।
इसलिए होगी ज्यादा असरदार :
बता दें कि कोरोना और दूसरे वायरस म्यूकोसा के के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। म्यूकोसा नाक, फेफड़ों और पाचन तंत्र में पाया जाने वाला एक चिपचिपा पदार्थ होता है। ऐसे में नाक से दी जाने वाली नेजल वैक्सीन सीधे म्यूकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है, जिससे संक्रमण को जल्दी रोकने में मदद मिलती है। वहीं इंजेक्शन के जरिए शरीर में दी जाने वाली वैक्सीन ऐसा नहीं कर पाती है।
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