सार
रेलवे स्टेशन से 200 मीटर दूर चलने पर रायगंज पुलिस चौकी पड़ती है। यहीं पर है फूलों वाली गली। अयोध्या में जितने भी मंदिर हैं, सभी जगहों पर यहीं से फूल-मालाएं भेजी जाती हैं। लेकिन लॉकडाउन में इनकी हालत खराब हो गई। घर का खर्च चलाना, बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया। फूल बेचने वाले बाबू अंसारी का कहना है कि पिछले 2 महीने में फूल की एक भी पत्ती नहीं मंगाई है।
अयोध्या. रेलवे स्टेशन से 200 मीटर दूर चलने पर रायगंज पुलिस चौकी पड़ती है। यहीं पर है फूलों वाली गली। अयोध्या में जितने भी मंदिर हैं, सभी जगहों पर यहीं से फूल-मालाएं भेजी जाती हैं। लेकिन लॉकडाउन में इनकी हालत खराब हो गई। घर का खर्च चलाना, बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया। फूल बेचने वाले बाबू अंसारी का कहना है कि पिछले 2 महीने में फूल की एक भी पत्ती नहीं मंगाई है। लॉकडाउन में हालत खराब हो गई, लेकिन ये सुनने में आया है किभूमि पूजन के बाद जब राम मंदिर बनेगा तो वहां फूल और प्रसाद बेंचने वालों के लिए दुकानें भी बनाई जाएंगी। इसका बेसब्री से इंतजार है। हम लोग पुराने दुकानदार हैं, हमें भी वहां दुकान मिलेगी तो व्यवसाय फिर से बढ़ेगा।
अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास में ही रायगंज पुलिस चौकी है
रायगंज पुलिस चौकी के सामने से जाने वाली इस गली की चौड़ाई 6-7 फिट से ज्यादा नहीं होगी। अंदर जाने पर लगभग सभी घरों से फूलों की खुशबू आने लगती है। मुहल्ले के ही राजेश ने बताया, इस पूरी गली में फूल का कारोबार होता है। फूल बेचकर ही यहां के लोगों का चूल्हा जलता है। बच्चों को पढ़ाते हैं। इसी गली में एक घर मिला, जहां पर एक परिवार चमेली की माला बना रहे थे।
भूमि पूजन नजदीक आने पर एक परिवार फूलों की मालाएं बना रहा है
हनुमान गढी में फूलों का कारोबार करने वाले फैज का कहना था कि हमारे लिए तो राम लला ही पालनहार हैं। हनुमान गढी मंदिर के पास फूलों की दुकान है। इसके अलावा कभी-कभार दूसरे मंदिरों में भी सजावट का काम मिल जाता है। कुल मिलाकर जिंदगी की गाड़ी इतनी अच्छी चल रही थी कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और घर के खर्च चल जाता था। लेकिन लॉकडाउन में फूल का व्यवसाय बंद हो गया। अब उम्मीदों के सहारे दिन काटा जा रहा है कि जल्द ही यहां सारी पुरानी चीजें फिर से शुरू हो जाएंगी।
यहीं से हनुमान गढ़ी के लिए रास्ता जाता है
बाबू अंसारी का कहना है कि पिछले 2 महीने में फूल की एक भी पत्ती नहीं मंगाई है। लॉकडाउन में हालत खराब हो गई, लेकिन ये सुनने में आया है कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी के भूमि पूजन के बाद जब राम मंदिर बनेगा तो बताया जा रहा है कि वहां पर फूल और प्रसाद बेंचने वालों के लिए दुकानें भी बनाई जाएंगी। इसका बेसब्री से इंतजार है। हम लोग पुराने दुकानदार हैं, हमें भी वहां दुकान मिलेगी तो व्यवसाय फिर से बढ़ेगा।
माला बनाने वाले अमरनाथ ने बताया, वह फूल बेचकर हर दिन 2 से 3 सौ रूपए की कमा लेते हैं। लॉकडाउन के बाद जब मंदिर बंद हुए तो श्रद्धालुओं का आना भी बंद हो गया। शुरू में तो लगा कि ये सब जल्द ही फिर से ठीक हो जाएगा, लेकिन अब समय बढ़ता ही जा रहा है। हम लोग तो भगवान राम और हनुमान जी महाराज के भरोसे हैं।
यहां से अयोध्या के मंदिरों में फूल-मालाएं जाती हैं, लेकिन लॉकडाउन में सब बंद है, गलियां सुनसान हैं दुकानें बंद हैं
अयोध्या में बनारस और ज्यादा जरूरत पड़ने पर कलकत्ता से फूल मंगाए जाते हैं। अमरनाथ ने बताया कि इस गली में रहने वाले 150 परिवारों का जीवन फूलों को बेचकर ही चलता है। पिछले कुछ दिनों से सब कुछ ऐसे बंद हुआ कि सारी चीजें अब भारी लगने लगी हैं। लॉकडॉउन में तो हालत खराब हो गई, लेकिन राम मंदिर निर्माण शुरू हो रहा है, इससे उम्मीद है कि एक बार फिर से पूरा कारोबार चलने लगेगा।