सार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेना से कहा कि सेना में भर्ती महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन पर आप निर्णय ले रहे हैं या हम आदेश करें। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर सेना से बिना कोई देर किए निर्णय लेने को कहा है।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेना से कहा कि सेना में भर्ती महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन पर आप निर्णय ले रहे हैं या हम आदेश करें। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर सेना से बिना कोई देर किए निर्णय लेने को कहा है। साल 2010 में 8 महिला अधिकारियों ने उनके शोषण के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उगले 9 सालों में सेना स्थाई कमीशन देने पर तो राजी हो गई ,पर कोर्ट में अपील करने वाली महिलाओं को ही कोई लाभ नहीं मिला। 

कोर्ट ने सेना से कहा कि हम इस मामले पर आदेश पास कर सकते हैं, लेकिन हम यह आपको इसका श्रेय लेने का मौका दे रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूर्ण की अगिवाई वाली बेंच ने कहा कि आपको पता होना चाहिए कि 10 शाखाओं में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने की बात कही गई थी। कोर्ट में इस बात का भी जिक्र हुआ कि यह कमीशन 2020 के बाद से मिलेगा। इसका मतलब है कि जिन महिलाओं ने लड़ाई लड़ी उन्हें ही इसका लाभ नहीं मिलेगा। 

महिला अधिकारियों की तरफ से वकील एश्वर्या भट्टी ने कोर्ट में कहा कि महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जा रहा है, पर इससे उन्हीं अफसरों को बाहर रखा गया है, जिन्होंने यह लड़ाई लड़ी थी। इसके बाद कोर्ट ने केन्द्र सरकार के कानून अधिकारी संजय जैन से कहा कि अगले गुरुवार को वो अपना सकारात्मक पक्ष लेकर आएं। 

नए नियम के तहत ssc के जरिए चयनित होने वाली महिला अधिकारियों को यह बताना आवश्यक होगा कि क्या उन्हें चार साल की सेवा के भीतर एक स्थायी कमीशन चाहिए। भारतीय वायुसेना ने पहले ही फाइटर पायलेट सहित सेना की सभी शाखाओं में महिलाओं की भर्ती शुरू कर दी है। भारत की जल सेना ने भी सुमद्र में जाने वाली पोस्ट को छोड़कर बाकी सभी शाखाओं में ssc के जरिए महिलाओं की भर्ती शुरू कर दी है। महिला अधिकारियों को भी पुरुष अधिकारियों के बराबर कमीशन दिया जा रहा है। 

दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2010 में भारतीय सेना से महिला अफसरों को भी पुरुष अफसरों की तरह कमीशन देने की बात कही थी। दिल्ली कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सिर्फ थाल सेना ने ही अपील की थी। कोर्ट के फैसले से पहले 14 साल में रिटायर होने वाली महिला अफसरों को कोई कमीशन नहीं मिलता था, जबकि पुरुषों को यह सुविधा सिर्फ 5 साल की नौकरी में ही मिल जाती थी। 

प्रधानमंत्री मोदी ने भी महिला अफसरों को कमीशन देने के विचार का स्वागत किया था और पिछले साल ही लाल किले से नीतियों में बदलाव करने की बात कही थी।