सार
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत को दुनियाभर से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य मेडिकल इक्विपमेंट्स की मदद मिल रही है। ऐसे में इस सामग्री की त्वरित निकासी के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड(CBIC) स्पीड से वर्क कर रही है। CBIC के डेटा के हवाले से केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उसने 24 अप्रैल से 4 मई तक 1 लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की निकासी सुनिश्चित की है। यानी उन्हें अविलंब क्लियरेंस दी।
नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच भारत को दुनियाभर के देशों से मदद पहुंच रही है। इसमें ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स ने लेकर सिलेंडर और अन्य मेडिकल इक्विपमेंट्स शामिल हैं। इस सामान को कस्टम से तुरंत क्लियरेंस दिलाने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड(Central Board of Indirect Taxes and Customs) एक्टिव है। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों इस संबंध में आदेश दिए थे कि इन चीजों की क्लियरेंस अविलंब होना चाहिए। CBIC ने भी एक ट्वीट के जरिये बताया कि इस संबंध में संस्थान तेजी से काम कर रहा है। किसी भी बंदरगाह पर आयातित सामग्री की कोई पेंडेंसी नहीं है।
केंद्र सरकार ने भी दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था
इससे पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में बताया कि 24 अप्रैल से 4 मई तक एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की निकासी सुनिश्चित की गई। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने यह जानकारी दी थी। सुनवाई के दौरान अदालत मित्र और सीनियर वकील राजशेखर राव ने कोर्ट को बताया कि केंद्र द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, 2 मई तक सीमा शुल्क विभाग के गोदाम में 22,920 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मौजूद थे, जिनमें से 1,921 की निकासी अनुमति लंबित थी।
बता दें कि सीमा शुल्क विभाग ने 24 अप्रैल से 4 मई तक 169.7 किलोग्राम रेमडेसिविर एपीआई और रेमडेसिविर टीके की 1.61 लाख शीशियों को निकासी अनुमति दी थी। वहीं, इसी दरमियान 1,41,413 वेंटिलेंटर्स के अलावा अन्य मेडिकल इक्विपमेंट्स की निकासी क्लियर की गई।
दरअसल, हाईकोर्ट ने चिकित्सा उपकरणों एवं दवाओं को सीमा शुल्क विभाग द्वारा तेजी से निकासी की अनुमति देने के निर्देश दिए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने यह रिपोर्ट पेश की थी।