सार
जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल हो सकता है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर कर सकारात्मक बयान देने की मोहलत मांगी है।
Jammu Kashmir statehood: जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल हो सकता है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर कर सकारात्मक बयान देने की मोहलत मांगी है। कोर्ट अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र की बहाली सबसे महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या केंद्र शासित प्रदेश को राज्य बनाया जा सकता?
कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल सकते हैं? चुनाव कब हो सकते हैं? कोर्ट ने कहा कि इस मामले का हल होना ही चाहिए। हमें विशिष्ट समय सीमा दीजिए कि आप वास्तविक लोकतंत्र कब बहाल करेंगे। हम इसे रिकॉर्ड करना चाहते हैं।
क्या कहा सॉलिसिटर जनरल ने?
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताते हुए उदाहरण के तौर पर असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का जिक्र किया था। मेहता ने स्थिति पर बयान पढ़ते हुए कहा, "मैंने निर्देश ले लिया है। निर्देश यह है कि 'केंद्र शासित प्रदेश' एक स्थायी विशेषता नहीं है... मैं परसों एक सकारात्मक बयान दूंगा। लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा। मेहता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का लोकसभा में जम्मू-कश्मीर को स्टेट का दर्जा दिए जाने संबंधी बयान को भी पढ़ा।
सीजेआई ने लोकतंत्र के महत्व को दिलाया याद
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को स्वीकार किया जिसे केंद्र सरकार द्वारा चार साल पहले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर व्यक्त किया गया था। लेकिन उन्होंने क्षेत्र में लोकतंत्र की वापसी के महत्व को भी याद दिलाया।
तुषार मेहता ने 12वें दिन की सुनवाई के दौरान कहा कि संसद में भी सरकार जम्मू-कश्मीर के बारे में सकारात्मक बयान दे चुकी है। सरकार कह रही है कि स्थितियां सामान्य होने पर जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा।
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा कर दिया गया था समाप्त
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था। अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। सरकार के इस फैसले के बाद केंद्र शासित प्रदेश: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आया।
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