सार

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अब थमता नजर आ रहा है। गलवान में सेना पीछे हटाने के बाद अब चीन ने पैंगोंग त्सो झील पर भी सैनिकों की संख्या में कमी करना शुरू कर दिया है। 10 जुलाई की सैटेलाइट तस्वीरों से यह खुलासा हुआ है। इससे पहले की सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा था कि इस क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन के काम चल रहे थे। 

नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अब थमता नजर आ रहा है। गलवान में सेना पीछे हटाने के बाद अब चीन ने पैंगोंग त्सो झील पर भी सैनिकों की संख्या में कमी करना शुरू कर दिया है। 10 जुलाई की सैटेलाइट तस्वीरों से यह खुलासा हुआ है। इससे पहले की सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा था कि इस क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन के काम चल रहे थे। 

हालांकि, अभी भी इस इलाके में चीन के टेंट समेत कई कंस्ट्रक्शन नजर आ रहे हैं। उधर भारत की सेना भी चीन की हरकतों पर पूरी तरह से नजर रख रही है। लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के किनारे फिंगर 4 से फिंगर 8 क्षेत्र में चीनी घुसपैठ पिछले कुछ हफ्तों से भारत और चीन के बीच विवाद की वजह बनी हुई है। 


फोटो- planet labs
 
पीछे हट रहा चीन
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, स्काईसेट ने शुक्रवार को सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। इसमें दिख रहा है कि चीन की कुछ सेना पीछे हटी है। इससे पहले जारी तस्वीरों में साफ हो गया था कि गालवान घाटी से दोनों सेनाएं पीछे हट गई हैं। नई सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि वाहन और बड़े ढांचे फिंगर 4 क्षेत्र से फिंगर 5 की ओर बढ़ गए हैं। वहीं, कुछ टेंट भी कम हुए हैं। हालांकि, अभी भी ये बड़ी संख्या में इश क्षेत्र में मौजूद हैं। 

बातचीत के बाद हटने को तैयार हुए दोनों देश
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को वीडियो कॉल पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की थी। दोनों के बीच दो घंटे चली बातचीत में स्थाई तौर पर शांति लाने और भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों, इस पर भी चर्चा हुई। बातचीत के दौरान दोनों देश पीछे हटने को तैयार हो गए थे। इसी के तहत गलवान में दोनों देश पीछे हट चुके हैं। अब इस चरण में धीरे धीरे पैंगोंग से सेना पीछे हटेगी। 


गलवान में पीछे हटी चीनी सेना (फोटो- अमेरिका की स्पेस टेक्नॉलजी कंपनी Maxar)

गलवान में 3.5 से 4 किमी तक बफर जोन घोषित
सैन्य सूत्रों के मुताबिक, गलवान में झड़प की जगह के आसपास 3.5-4 किमी बफर जोन घोषित किया गया है। इसलिए गलवान में दोनों देशों की तरफ से 30 से ज्यादा सैनिक तैनात नहीं कर सकेंगे। दोनों देशों के सैनिकों के बीच 3.6 से 4 किमी की दूरी होगी।