सार

चीन और पाकिस्तान लगातार भारत और उसके सहयोगी देशों में अस्थिरता फैलाने की कोशिश में जुटे हैं। खासतौर पर पूर्वी लद्दाख में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत के लिए चौकसी और बढ़ गई है। हाल ही में आर्मी चीफ जनरल मिंग आंग ह्लाइंग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके देश में उग्रवादियों को चीन हथियार दे रहा है।

नैप्यीडॉ. चीन और पाकिस्तान लगातार भारत और उसके सहयोगी देशों में अस्थिरता फैलाने की कोशिश में जुटे हैं। खासतौर पर पूर्वी लद्दाख में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत के लिए चौकसी और बढ़ गई है। हाल ही में आर्मी चीफ जनरल मिंग आंग ह्लाइंग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके देश में उग्रवादियों को चीन हथियार दे रहा है। उन्होंने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले में दखल देने की मांग की थी। मिंग आंग ने कहा था, उनके देश में जो आतंकी संगठन सक्रिय हैं, उनके पीछे मजबूत ताकतें हैं।

लेकिन अब म्यांमार में चीन की एक और चाल का खुलासा हुआ है। दरअसल, चीन और पाकिस्तान का एक नेक्सस म्‍यांमार के दो उग्रवादी समूहों को चीनी हथियार सप्लाई कर रहा था। यह संगठन म्यांमार और बांग्लादेश में आतंक को बढ़ावा देता है। जब थाइलैंड-म्‍यांमार बॉर्डर से कुछ लोग गिरफ्तार हुए, तो उनके पास से बड़ी संख्या में चीनी हथियार मिले। यह हथियार चीन की एक सरकारी कंपनी ने बनाए थे। इन हथियारों को पहुंचाने का मकसद था, रकाइन में भारतीय ठिकानों पर हमला करना।




ये हथियार बांग्‍लादेश के कॉक्‍स बाजार से भारत-बांग्लादेश-म्यांमार जंक्शन तक पर्वा के रास्ते पहुंचाए गए थे। पूरे प्लान्ड ऑपरेशन के तहत हथियार पहुंचाए गए। खास बात यह है कि ये हथियार बांग्लादेश की आर्मी, कोस्टल, बॉर्डर गार्ड्स कोई नहीं पकड़ सका। 

भारत के लिए है चिंता का विषय
म्‍यांमार की चीन और भारत के साथ सीमाएं लगती हैं। इन्हीं इलाकों में उग्रवादी अराकान सक्रिय है। खासतौर से अरुणाचल से लगी सीमा पर। इससे पहले भी चीन पूर्वोत्तर में कई उग्रवादी समूहों को चीन समर्थन देता रहा।  

भारतीय प्रोजेक्टों पर अडंगा डालते हैं अराकान उग्रवादी
अराकान उग्रवादियों ने 10-11 मार्च को म्यांमार सेना की पोस्ट पर हमला किया था। इसमें 20 सैनिक मारे गए थे। अराकान आर्मी  2009 में बनी थी। यह रकाइन स्टेट की आजादी मांग कर रही है। इसी वजह से रकाइन में भारत के कालादान प्रोजेक्‍ट साइट पर उग्रवादियों ने कई बार हमले किए हैं। वहीं, इसी क्षेत्र में पड़ने वाले चीन के  चीन-म्‍यांमार इकनॉमिक कॉरिडोर को नुकसान नहीं पहुंचाया गया।