सार

नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। जिसके बाद से यह कानून पूरे देश में लागू हो गया है। एक तरफ इस कानून को मंजूरी मिलने के बाद से ही विरोधों का दौर जारी है। बावजूद इसके सरकार ने इस कानून को लागू कर दिया है। 

नई दिल्ली. देश भर में जारी नागरिकता कानून के विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन अधिनियम शुक्रवार से देश भर में लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने इसे लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से यह अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें 10 जनवरी 2020 से इस अधिनियम (कानून) को लागू करने की घोषणा की गई है। 

क्या लिखा है अधिसूचना में ?

गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में लिखा है, 'केंद्रीय सरकार, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (2019 का 47) की धारा 1 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए, 10 जनवरी 2020 को उस तारीख के रूप में नियत करती है जिसको उक्त अधिनियम के उपबंध प्रवृत होंगे।'

अब केंद्र सरकार या सुको ही कर सकेगी बदलाव

देश भर में इस कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, कुछ राज्यों में इन प्रदर्शनों में हिंसक घटनाएं भी सामने आई हैं। विपक्ष भी इस कानून का लगातार विरोध कर रहा है। जबकि देश भर के शिक्षण संस्थानों के छात्र भी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग की जा रही है। लेकिन सरकार द्वारा इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है ऐसे में अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही इसे रद्द किया जा सकता है या फिर केंद्र सरकार ही इस कानून में कोई परिवर्तन कर सकती है। 

क्या है कानून ?

केंद्र सरकार नागरिकता अधिनियम, 1955 में बदलाव करने हेतु संसद में नागरिकता संशोधन बिल लेकर आई। दोनों सदनों में इस बिल के बहुमत से पास होने के बाद 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस पर अपनी मुहर लगा दी। जिसके करीब एक महीने बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसे पूरे देश में लागू कर दिया है। इस कानून के मुताबिक अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी। कानून लागू होने से पहले इन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था। 

पूर्वोत्तर के राज्यों में नहीं होगा लागू 

नागरिकता संशोधन कानून असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के कुछ इलाकों में यह कानून लागू नहीं होगा।  केंद्र सरकार ने इन जगहों पर इनर लाइन परमिट जारी कर दिया है, इसके चलते यह कानून लागू नहीं होगा। बता दें पूर्वोत्तर के राज्यों खासकर कि असम, मणिपुर और मेघालय में इस कानून का जबरदस्त विरोध देखा गया। 

इसलिए हो रहा CAA का विरोध 

सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का मानना है कि यह कानून भारत के संविधान के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ये भारत के संविधान की सेक्युलर संरचना पर हमला करता है। लोगों का मानना है कि इस कानून के दायरे में पड़ोसी देशों में पीड़ित मुसलमानों को भी शामिल करना चाहिए। उनका यह भी आरोप है कि जब देश में एनआरसी लागू होगा तो दस्तावेजों के अभाव में लाखों लोगों को नागरिकता साबित करने में मुश्किल आएगी या फिर डिटेंशन सेंटर में जाना पड़ेगा। जिसको लेकर विरोध किया जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कानून किसी भी भारतीय पर लागू नहीं होगा। इसके साथ ही यह भी साफ किया जा चुका है कि यह कानून किसी की नागरिकता का छिनने का नहीं बल्कि तीन देशों से आए प्रताड़ित अल्पसंख्यंकों को नागरिकता का देना है।