सार
CJI DY Chandrachud last working day: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल का शुक्रवार को आखिरी दिन था। सीजेआई से रिटायर हो रहे डीवाई चंद्रचूड़ ने अंतिम दिन 45 केसों की सुनवाई की जिसमें एएमयू के माइनॉरिटी स्टेटस को बरकरार रखने का फैसला भी शामिल रहा। देश के 50वें सीजेआई के रूप में रिटायर हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के विदाई समारोह में होने वाले नए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना भी सम्मिलित हुए। इस विदाई समारोह की लाइव स्ट्रीमिंग भी हुई। आईए जानते हैं उनके टॉप फैसले जो बदलाव के वाहक बने...
- भारत का मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायालयों को अधिक हाईटेक करने पर ध्यान दिया। ई-फाइलिंग, पेपरलेस सब्मिशन, पेंडिंग केसों के लिए व्हाट्सएप अपडेट, डिजिटल स्क्रीन, वीडियो कांफ्रेंसिंग, लाइव ट्रैकिंग, लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा को शुरू कराया।
- न्यायालयों में हर कोई तराजू ली हुई न्याय की देवी की मूर्ति को देखा होगा जिनकी आंखों पर पट्टी बंधी है। कहावत भी प्रचलित है कि कानून अंधा होता है। लेकिन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने न्याय की देवी की प्रतिमा में चेंज कराया। दायां हाथ में तराजू बराबर किया गया। आंखों की पट्टी हटवा दी। दूसरे हाथ में तलवार की जगह पर न्याय की देवी के हाथ में संविधान दिया गया।
- सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव में सुप्रीम कोर्ट में छुट्टियों की संख्या 95 अधिकतम कर दिया। जबकि पहले यह संख्या 103 थी। इसके अलावा अवकाश जज को भी केवल जज कहा जाने का आदेश दिया।
- सुप्रीम कोर्ट के जजों की कुर्सियों के बैकरेस्ट अलग-अलग न होकर एक जैसा कराया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट में हुए थे प्रमोट
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ करीब 8 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में प्रमोट हुए थे। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे उसी दौरान 13 मई 2016 को प्रमोट होकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। नवम्बर 2022 में वह भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लिए। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अपने कार्यकाल में 1274 बेंचों का हिस्सा रहे। 612 फैसले सुनाए। आखिरी दिन भी उन्होंने 45 केसों की सुनवाई की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में विभिन्न बेंच में शामिल डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के कई महत्वपूर्ण केसों में फैसले दिए हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से हटाए गए आर्टिकल 370, रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण का केस, वन रैंक-वन पेंशन, यूपी मदरसा केस, सबरीमाला विवाद, इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता, सीएए-एनआरसी,समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार आदि मामलों पर फैसला सुनाने के लिए कई महत्वपूर्ण मामलों का स्वत: संज्ञान लेकर भी फैसला दिए हैं।
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